हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़ ✑ सोमवार 26 मई 2025
उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षकों के हित में एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब प्रदेश के सहायता प्राप्त अशासकीय (एडेड) महाविद्यालयों में कार्यरत ऐसे शिक्षक जिनकी सेवा के दौरान मृत्यु हो गई, उनके परिजनों को मृत्यु उपादान (Death Gratuity) का लाभ मिलेगा। उच्च शिक्षा विभाग ने इस संबंध में शासनादेश जारी कर दिया है, जिसे कैबिनेट की मंजूरी भी प्राप्त हो चुकी है।
उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने जानकारी दी कि यह निर्णय विशेष रूप से उन मामलों पर लागू होगा जहाँ शिक्षक सेवा के दौरान दिवंगत हुए हैं। इनमें निम्नलिखित श्रेणियां शामिल हैं:
- ऐसे शिक्षक जिन्होंने सेवानिवृत्ति का कोई विकल्प नहीं दिया था और 58 वर्ष की आयु से पहले उनकी मृत्यु हो गई।
- ऐसे शिक्षक जिन्होंने 60 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्ति का विकल्प चुना था, लेकिन निर्धारित समय सीमा के भीतर विकल्प में कोई परिवर्तन नहीं किया और उससे पहले ही उनका निधन हो गया।
- 03 फरवरी 2004 के बाद के ऐसे शिक्षक जिन्होंने सेवानिवृत्ति का कोई विकल्प नहीं दिया और 60 वर्ष की आयु से पहले निधन हो गया।
- ऐसे शिक्षक जिन्होंने 62 वर्ष की सेवानिवृत्ति का विकल्प चुना था, लेकिन विकल्प परिवर्तन की निर्धारित अवधि से पहले ही उनकी मृत्यु हो गई।
यह निर्णय मृतक शिक्षकों के परिजनों को बड़ी राहत प्रदान करेगा। डेथ ग्रेच्युटी एक ऐसी राशि होती है जो मृतक कर्मचारी के परिवार को आर्थिक सहारा देने के उद्देश्य से दी जाती है। लंबे समय से सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के शिक्षक इस लाभ से वंचित थे, लेकिन अब इस नए शासनादेश के बाद उनके परिजनों को भी यह हक मिल सकेगा।
क्या है डेथ ग्रेच्युटी?
डेथ ग्रेच्युटी एक सरकारी प्रावधान है जिसके तहत सरकारी या सहायता प्राप्त संस्थानों में कार्यरत कर्मचारियों की सेवा के दौरान मृत्यु होने पर उनके आश्रितों को एकमुश्त धनराशि प्रदान की जाती है। यह राशि उनकी सेवा अवधि और अंतिम वेतन के आधार पर तय की जाती है।
इस निर्णय के बाद प्रदेश भर के सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के शिक्षकों और उनके संघों में प्रसन्नता की लहर है। इसे शिक्षक समुदाय के लिए एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है, जिससे भविष्य में किसी भी आकस्मिक स्थिति में उनके परिवार को आर्थिक संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा।