हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़ ✑ बुधवार 4 जून 2025
नई दिल्ली, 4 जून 2025: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली वक्फ बोर्ड की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें उसने पूर्वी दिल्ली के शाहदरा इलाके में स्थित एक गुरुद्वारे की जमीन को वक्फ संपत्ति बताते हुए दावा पेश किया था। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि जब वहां पहले से एक “फंक्शनिंग” धार्मिक स्थल, यानी गुरुद्वारा मौजूद है, तो उसे रहने दिया जाए और वक्फ बोर्ड को अपना दावा वापस ले लेना चाहिए।
इस याचिका में दिल्ली वक्फ बोर्ड ने दिल्ली हाईकोर्ट के वर्ष 2010 के फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें कोर्ट ने प्रतिवादी के पक्ष में फैसला सुनाया था। वक्फ बोर्ड का दावा था कि विवादित स्थल पर ऐतिहासिक “मस्जिद तकिया बब्बर शाह” मौजूद थी, जो अनादिकाल से धार्मिक उद्देश्यों के लिए समर्पित थी।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
मामले की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस संजय करोल और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा शामिल थे, ने सुनवाई के दौरान वक्फ बोर्ड से कहा,
“वहां एक धार्मिक संरचना पहले से मौजूद है और वह कार्य कर रही है। ऐसे में आपको अपना दावा स्वयं ही वापस ले लेना चाहिए।”
जब वक्फ बोर्ड की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय घोष ने तर्क दिया कि वहां कभी मस्जिद थी, तो कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा,
“कोई ‘किसी तरह का’ नहीं, वहां एक विधिवत संचालित गुरुद्वारा है।”
प्रतिवादी का पक्ष
प्रतिवादी का कहना है कि वर्ष 1953 में इस संपत्ति को उसके मूल मालिक मोहम्मद एहसान ने उन्हें बेच दिया था। हाईकोर्ट ने यह भी माना था कि 1947-48 से ही प्रतिवादी का इस भूमि पर कब्जा रहा है। हालांकि प्रतिवादी खुद को मालिक बताने के लिए पुख्ता दस्तावेज पेश नहीं कर सके, फिर भी कोर्ट ने माना कि इसका लाभ वक्फ बोर्ड को नहीं मिल सकता जब तक कि वह खुद अपना दावा ठोस साक्ष्यों से सिद्ध न करे।
हाईकोर्ट का 2010 का फैसला
दिल्ली हाईकोर्ट ने 2010 के अपने फैसले में कहा था कि
“यदि वक्फ बोर्ड को इस संपत्ति पर कब्जा चाहिए, तो उन्हें इसका साक्ष्य पेश करना होगा। मात्र यह कहना पर्याप्त नहीं है कि वहां कभी मस्जिद थी।”