हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग से जुड़े करीब 2,000 शिक्षकों की नौकरी पर अब तलवार लटक गई है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपने आदेश में स्पष्ट कर दिया है कि बिना टीईटी पास किए कोई भी शिक्षक प्राथमिक और जूनियर स्कूलों में पढ़ा नहीं सकता। कोर्ट ने यह भी कहा है कि जिन शिक्षकों की नौकरी अभी पांच साल से अधिक समय तक चलनी है, उन्हें दो साल के भीतर अनिवार्य रूप से टीईटी पास करना होगा। ऐसा न करने वालों को नौकरी से बाहर कर दिया जाएगा या उन्हें खुद इस्तीफा देना होगा।
इस आदेश से प्रदेशभर में हड़कंप मच गया है। सबसे बड़ी समस्या उन शिक्षकों के सामने है जिन्हें 1995 तक की भर्ती प्रक्रिया में इंटरमीडिएट की योग्यता के आधार पर नौकरी मिली थी। उस समय इंटर ही बेसिक टीचर के लिए न्यूनतम योग्यता मानी जाती थी। अब स्थिति बदल चुकी है। टीईटी परीक्षा के लिए स्नातक अनिवार्य कर दिया गया है।
यानी जिन शिक्षकों की सेवा अवधि अभी 6-7 साल बची है, उन्हें पहले स्नातक की डिग्री हासिल करनी होगी और उसके बाद टीईटी पास करना होगा। उम्र और समय की वजह से यह प्रक्रिया उनके लिए लगभग असंभव है। ऐसे में साफ है कि उन्हें अपनी नौकरी छोड़नी पड़ सकती है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से प्रभावित करीब 2,000 शिक्षक दुविधा में हैं। शिक्षकों का कहना है कि इतने वर्षों तक सेवाएं देने के बाद अब अचानक योग्यता बदलने से उनका भविष्य अंधकारमय हो रहा है। वहीं, शिक्षा विभाग के भीतर भी इस आदेश को लेकर हलचल तेज है और सभी की नजरें अब राज्य सरकार की अगली रणनीति पर टिकी हुई हैं।