हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
उल्लू को लेकर समाज में दो तरह की मान्यताएं हैं—एक ओर इसे मूर्ख समझा जाता है, वहीं दूसरी ओर यह देवी लक्ष्मी का वाहन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। भारतीय लोककथाओं में उल्लू को अक्सर मूर्ख बताया गया, क्योंकि यह दिन में शांत और सुस्त दिखाई देता है और रात में सक्रिय रहता है। लेकिन विज्ञान इस धारणा को पूरी तरह गलत साबित करता है।
वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो उल्लू एक अत्यंत बुद्धिमान और दक्ष शिकारी पक्षी है। इसकी आंखों की संरचना और दृष्टि क्षमता इतनी तेज होती है कि यह अंधेरी रात में भी अपने शिकार को साफ देख सकता है। उल्लू की आंखों में ‘रॉड सेल्स’ की संख्या अधिक होती है, जिससे यह बहुत कम रोशनी में भी स्पष्ट देख पाता है।
इसके अलावा, उल्लू की सुनने की क्षमता भी अद्भुत होती है। यह जमीन के नीचे छिपे छोटे जानवरों, जैसे चूहों की आवाज तक सुन सकता है। इसके पंखों की विशेष बनावट उड़ान के दौरान किसी भी तरह की आवाज नहीं होने देती, जिससे यह चुपचाप अपने शिकार के पास पहुंच जाता है। मजबूत पंजे और चोंच इसे एक उत्कृष्ट शिकारी बनाते हैं।
धार्मिक दृष्टि से उल्लू को विवेक और समृद्धि का प्रतीक माना गया है। दिवाली के अवसर पर माता लक्ष्मी के साथ उल्लू की पूजा का अर्थ है कि धन के साथ बुद्धि और विवेक भी आवश्यक हैं। इस तरह विज्ञान और परंपरा, दोनों मान्यताएं उल्लू की बुद्धिमत्ता और महत्व को रेखांकित करती हैं।













