हिन्दुस्तान मिरर न्यूज, 12-7-2025
नई दिल्ली: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत उच्च शिक्षा को अधिक लचीला और समावेशी बनाने की दिशा में एक अहम कदम उठाया है। अब छात्र स्नातक स्तर की पढ़ाई किसी भी समय छोड़ सकते हैं और उसे बाद में कभी भी फिर से शुरू कर सकते हैं। इसके लिए यूजीसी ने दिशा-निर्देशों का मसौदा तैयार किया है और 30 जुलाई तक शिक्षण संस्थानों से सुझाव मांगे हैं।
यूजीसी के अनुसार, छात्र न्यूनतम एक वर्ष की पढ़ाई पूरी करने के बाद यदि पढ़ाई छोड़ते हैं, तो उन्हें उस अवधि के अनुसार प्रमाणपत्र, डिप्लोमा, डिग्री या ऑनर्स डिग्री प्रदान की जाएगी:
- 1 वर्ष – सर्टिफिकेट
- 2 वर्ष – डिप्लोमा
- 3 वर्ष – डिग्री
- 4 वर्ष – ऑनर्स डिग्री
छात्रों के शैक्षणिक क्रेडिट अंक “अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (ABC)” में जमा रहेंगे, जिससे वे भविष्य में किसी भी समय, जीवन भर में, अपनी छूटी हुई पढ़ाई को फिर से शुरू कर सकेंगे।
क्रेडिट की वैधता और समान फ्रेमवर्क की व्यवस्था
यूजीसी ने कहा है कि क्रेडिट की वैधता औसतन 5 से 10 वर्ष तक की होती है, लेकिन अगर किसी छात्र के क्रेडिट की वैधता समाप्त भी हो चुकी हो, तो वह पूर्व मान्यता के लिए आवेदन कर सकता है। ऐसे मामलों में क्रेडिट का पुनर्मूल्यांकन किया जाएगा।
इसके अतिरिक्त, यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों और संस्थानों से एक समान क्रेडिट फ्रेमवर्क और लर्निंग आउटकम तैयार करने का आग्रह किया है, ताकि छात्र एक संस्थान से दूसरे संस्थान में आसानी से ट्रांसफर हो सकें। यह व्यवस्था ऑनलाइन डिग्री पाठ्यक्रमों पर लागू नहीं होगी।
यूजीसी का यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के पांच वर्ष पूरे होने के अवसर पर लाया गया है। यह व्यवस्था छात्रों को पढ़ाई बीच में रोकने की सुविधा के साथ ही, भविष्य में उसे बिना बाधा के पूरा करने का अवसर भी प्रदान करेगी। इससे न केवल छात्रों को लचीलापन मिलेगा, बल्कि उच्च शिक्षा प्रणाली भी अधिक समावेशी और गतिशील बनेगी।