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ट्रम्प एवं पुतिन की मुलाकात होगी अलास्का में 15 अगस्त को

हिन्दुस्तान मिरर न्यूज

पुतिन ने गिरफ्तारी और सुरक्षा के भय के चलते मीटिंग को चुना अलास्का

वाशिंगटन: पिछले काफी दिनों से टाली जा रही रूस के राष्ट्रपति पुतिन और अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप की मीटिंग की तारीख तय हो गई है। खास बात तो यह है कि यह मीटिंग ना तो रूस में होगी और ना ही व्हाइट हाउस में होगी। यह रूस से महज चार किलो मीटर की दूर अलास्का में होंगी। अलास्का इस समय अमेरिका के अधीन हैं। हालांकि पहले यह रूस का हिस्सा हुआ करता था, लेकिन 30 मार्च 1867 में रूस ने अलास्का को अमेरिका का बेच दिया था। दूसरी ओर अलास्का के चयन के पीछे मुख्य वजह पुतिन द्वारा खुद को गिरफ्तारी से बचाना हैं। उधर अलास्का के गवर्नर माइक डनलेबी ने कहा कि वह पुतिन और ट्रंप की अलास्का में होने वाली मीटिंग का स्वागत करते हैं।

दरअसल पिछले काफी समय ट्रम्प द्वारा पुतिन के साथ मुलाकात के प्रयास किए जा रहे हैं। उनका मानना हैं कि इस मुलाकात में शायद रूस-यूक्रेन युद्ध बंदी को लेकर कोई रास्ता निकले। उधर इस समय पर 50 फीसदी टैरिफ को लेकर भारत ओर अमेरिका के बीच रिश्तों में खटास आ गई है। लेकिन इसी बीच भारत के अहम सहयोगी के रूप में उभर रहे रूस के मुखिया पुतिन और ट्रम्प के बीच अलास्का में 15 अगस्त को मुलाकात होना तय हो गया है। हालांकि इस मुलाकात के बाद रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध रुकेगा या नहीं, लेकिन इतना तय है कि पुतिन के ऊपर गिरफ्तारी की तलवार नहीं लटक पाएगी।

पुतिन का जारी है आईसीसी कोर्ट से वारंट

दरअसल रूस के राष्ट्रपति पुतिन के खिलाफ इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (आईसीसी) द्वारा गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है। आरोप है कि पुतिन ने यूक्रेन के बच्चों को अवैध रूप से रूस मंगवा लिया। आईसीसी के दुनिया भर में 124 सदस्य देश हैं। नियम हैं कि यदि आसीसी किसी का वारंट जारी करती है और वह व्यक्ति सदस्य देशों में पाया जाता है तो उसे गिरफ्तार कर आईसीसी के मुख्यालय नीदरलैंड भेज दिया जाएगा।

अमेरिका नहीं है आईसीसी का सदस्य
क्योंकि अमेरिका आईसीसी का सदस्य नहीं हैं। इसलिए पुतिन के लिए अलास्का सबसे सुरक्षित स्थान माना जा रहा है।

गौरतलब है कि पुतिन जुलाई 25 में ब्राजील में हुए ब्रिक्स सम्मेलन और 2023 में दक्षिण अफ्रीका में हुए सम्मेलन में नहीं पहुंचे थे। क्योंकि ब्राजील और साउथ अफ्रीका दोनों देश आईसीसी के सदस्य हैं। इसलिए उन्होंने गिरफ्तारी के डर से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए दोनों देशों की कांग्रेस में भाग लिया था।

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