हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराध लगातार चिंता का विषय बने हुए हैं। बलात्कार और यौन हिंसा की घटनाओं के बीच हाल के वर्षों में “डिजिटल रेप” (Digital Rape) शब्द ने ध्यान खींचा है। आम जनता को इसके बारे में जानकारी सीमित है, जबकि यह कानूनन बलात्कार की ही श्रेणी में आता है।
क्या है डिजिटल रेप?
डिजिटल रेप का मतलब यहां “डिजिट” यानी शरीर की उंगली या पैर की उंगली से है। इसमें किसी महिला की सहमति के बिना उसकी प्राइवेट पार्ट में उंगली या किसी वस्तु का प्रवेश किया जाए तो इसे डिजिटल रेप कहा जाता है। इसका संबंध टेक्नोलॉजी या ऑनलाइन अपराध से नहीं है।
बलात्कार से कैसे अलग है डिजिटल रेप?
डिजिटल रेप और रेप में मुख्य अंतर रिप्रोडक्टिव ऑर्गन के इस्तेमाल का है। जहां पारंपरिक रेप में प्रजनन अंग का प्रयोग होता है, वहीं डिजिटल रेप में उंगली या वस्तु का। 2012 निर्भया कांड से पहले इसे केवल छेड़छाड़ माना जाता था, लेकिन बाद में इसे रेप की श्रेणी में लाया गया। यह अपराध घर, दफ्तर, अस्पताल या सार्वजनिक स्थान—कहीं भी हो सकता है और इसका प्रभाव पीड़िता के मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक जीवन पर गंभीर पड़ता है।
क्यों बढ़ रही है चर्चा?
डिजिटल रेप के मामलों में अधिकतर आरोपी पीड़िता के करीबी होते हैं। कई बार ये मामले दर्ज ही नहीं होते क्योंकि अधिकांश लोग इस शब्द और कानूनी प्रावधानों से अनजान हैं। समाज में जागरूकता की कमी ही इसकी रिपोर्टिंग कम होने का बड़ा कारण है।
सजा का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत डिजिटल रेप को गंभीर अपराध माना गया है। दोषी को न्यूनतम 5 से 7 साल की सजा हो सकती है, जो आजीवन कारावास तक बढ़ाई जा सकती है। इसके अलावा जुर्माना भी लगाया जाता है।