हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 7 मई : 2025,
लखनऊ।
भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच आज 7 मई को उत्तर प्रदेश के 17 जिलों में सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल का आयोजन किया जा रहा है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर इस अभ्यास का मकसद आपातकालीन स्थिति में नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। देशभर में कुल 300 स्थानों पर यह मॉक ड्रिल हो रही है, जिसमें यूपी के जिलों को विशेष रूप से शामिल किया गया है।
इस मॉक ड्रिल को लेकर सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह मुस्तैद हैं। इसका आयोजन ऐसे समय में किया जा रहा है जब भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर के तहत बड़ी सैन्य कार्रवाई कर 9 आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया है। ऐसे में मॉक ड्रिल का उद्देश्य न केवल आम नागरिकों को जागरूक करना है, बल्कि सुरक्षा एजेंसियों की तैयारियों को परखना भी है।
तीन कैटेगरी में बांटे गए जिले
केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश पर उत्तर प्रदेश के 17 जिलों को तीन श्रेणियों — A, B और C — में बांटा गया है। इन श्रेणियों का निर्धारण जिलों की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए किया गया है।
- कैटेगरी A: बुलंदशहर (नरोरा)
- कैटेगरी C: बागपत, मुजफ्फरनगर
- कैटेगरी B: आगरा, प्रयागराज, बरेली, गाजियाबाद, गोरखपुर, झांसी, कानपुर, लखनऊ, मथुरा, मेरठ, मुरादाबाद, सहारनपुर, वाराणसी, बख्शी का तालाब, मुगलसराय और सरवासा।
क्या बोले यूपी के डीजीपी प्रशांत कुमार?
यूपी पुलिस के डीजीपी प्रशांत कुमार ने जानकारी दी कि केंद्र सरकार के आदेश पर उत्तर प्रदेश में चिन्हित जिलों में मॉक ड्रिल की जा रही है। उन्होंने बताया, “प्रदेश के 19 जिलों की पहचान की गई है, जिनमें एक A, दो C और शेष B श्रेणी में हैं। इन क्षेत्रों की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए यह मॉक ड्रिल की जा रही है ताकि किसी भी आकस्मिकता की स्थिति में प्रशासनिक और आपदा प्रबंधन एजेंसियां पूरी तरह तैयार रहें।”
सहयोग में ये टीमें रहेंगी सक्रिय
इस मॉक ड्रिल में सिविल प्रशासन, पुलिस बल, अग्निशमन विभाग, आपदा प्रबंधन बल (NDRF/SDRF) और स्वास्थ्य विभाग की टीमें संयुक्त रूप से हिस्सा लेंगी। विभिन्न जिलों में अलग-अलग परिदृश्यों के आधार पर मॉक अभ्यास किया जाएगा जैसे– विस्फोट, आतंकी हमला, रासायनिक रिसाव या आगजनी।
नागरिकों से अपील
प्रशासन ने आम जनता से अपील की है कि वे मॉक ड्रिल के दौरान घबराएं नहीं और प्रशासन का सहयोग करें। यह अभ्यास उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए है, जिससे भविष्य में किसी भी आपदा के समय जान-माल की क्षति को न्यूनतम किया जा सके।