साहित्यकार ज्ञानेन्द्र साज का ऐतिहासिक नेत्रदान, देहदान कर्तव्य संस्था ने किया 100वाँ नेत्रदान सम्पन्न
अलीगढ़ के वरिष्ठ साहित्यकार ज्ञानेन्द्र साज जाते-जाते भी मानवता की मिसाल बन गए। 83 वर्षीय साज के निधन के बाद उनके परिजनों ने उनका नेत्रदान कराकर दो लोगों की जिंदगी रोशन कर दी। यह देहदान कर्तव्य संस्था द्वारा कराया गया 100वाँ नेत्रदान था, जिसे सौहार्दपूर्ण वातावरण में ऐतिहासिक रूप से सम्पन्न किया गया।

संस्था के अध्यक्ष डॉ एस के गौड़ को जब संजय रॉय और भुवनेश वार्ष्णेय का फोन आया, तो उन्होंने तत्परता दिखाते हुए वृंदावन स्थित डॉ श्रॉफ आई केयर के डॉ रोशन से संपर्क किया। डॉ रोशन तुरंत अलीगढ़ पहुंचे और नेत्रदान की प्रक्रिया को पूरा किया।
इस अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए भुवनेश वार्ष्णेय ‘आधुनिक’ ने कहा कि ज्ञानेन्द्र साज ने अपने साहित्यिक योगदान से अलीगढ़ के साहित्य और संस्कृति को समृद्ध किया। उनके परिजनों द्वारा किया गया यह नेत्रदान न केवल उनके विचारों की निरंतरता है, बल्कि मानवता की सच्ची सेवा भी है।
डॉ गौड़ ने परिजनों को साधुवाद देते हुए कहा कि यह कार्य समाज में रूढ़ियों को तोड़ने वाला है। आमतौर पर लोग पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए छोड़ देते हैं, पर साज परिवार ने एक प्रेरणादायी मानवीय कदम उठाया है।
इस पुनीत कार्य में डॉ डी के वर्मा, डॉ जयंत शर्मा, डॉ आशा राठी, अजय राणा, एडवोकेट अनिल राज गुप्ता, उमेश सरकौडा, संजय रॉय, अजय रॉय, जय रॉय समेत कई लोगों ने सहयोग दिया। संस्था ने लोगों से अपील की कि वे भी इस नेक कार्य में सहभागी बनें और एक फोन कॉल से जीवनदान की इस मुहिम से जुड़ें।