हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 13 मई : 2025,
हिन्दुस्तान मिरर | 13 मई 2025
जब कुछ सेकंड तय करते हैं ज़िंदगी और मौत का फासला
परमाणु बम – यह नाम सुनते ही दिमाग में एक ऐसा दृश्य कौंधता है जो मानवता की अब तक की सबसे भयानक तबाही की याद दिलाता है। हिरोशिमा और नागासाकी की विभीषिका से लेकर आज के मॉडर्न परमाणु हथियारों तक, विज्ञान ने जहाँ ऊर्जा का अद्भुत उपयोग किया है, वहीं इसका विनाशकारी पक्ष किसी बुरे स्वप्न से कम नहीं।
आज के समय में जब विश्व एक बार फिर वैश्विक तनाव और युद्ध की आशंकाओं से जूझ रहा है, यह जानना बेहद जरूरी हो गया है कि अगर किसी शहर पर परमाणु हमला होता है, तो उसके बाद लोगों के पास जान बचाने के लिए कितना समय होता है, और वे क्या कर सकते हैं। आइए विस्तार से समझते हैं कि एक परमाणु विस्फोट किस तरह की तबाही लाता है और उसमें बचने की संभावनाएं कितनी होती हैं।
1. विस्फोट के साथ ही शुरू होता है मौत का सिलसिला
परमाणु बम फटते ही जो चमक निकलती है, वह इतनी तीव्र होती है कि कुछ ही सेकंड में कई किलोमीटर के दायरे में मौजूद लोगों की आंखें जल सकती हैं या वे हमेशा के लिए अंधे हो सकते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक यह चमक “100 सूरजों” जितनी तेज होती है।
इसके तुरंत बाद जो तापमान उत्पन्न होता है, वह लाखों डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है – इतना अधिक कि स्टील जैसी धातुएं भी पिघल जाएं और इंसानी शरीर तो पल भर में राख बन जाए।
2. 10 किलोमीटर तक तबाही का मंजर
अगर परमाणु बम 15 किलोटन या उससे ज्यादा ताकत का हो, तो उसके फटने के बाद 10 किलोमीटर के दायरे में सबकुछ नष्ट हो सकता है। इमारतें, सड़कें, वाहन, इंसान – कुछ भी नहीं बचता। उस क्षेत्र में एक तेज़ आग का तूफान फैलता है जिसे “फायरस्टॉर्म” कहा जाता है, जो हवा में मौजूद ऑक्सीजन तक को खींच लेता है।
3. मशरूम क्लाउड और रेडियोएक्टिव बारिश
विस्फोट के बाद आसमान में जो विशाल ‘मशरूम क्लाउड’ बनता है, वह लाखों टन रेडियोएक्टिव कणों को ऊंचाई तक ले जाता है। ये कण धीरे-धीरे ज़मीन पर वापस गिरते हैं जिसे “रेडियोएक्टिव फॉलआउट” कहते हैं। ये कई दिनों और हफ्तों तक जानलेवा विकिरण फैलाते रहते हैं। इस ज़हर से न केवल लोग तुरंत बीमार पड़ते हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियां भी प्रभावित हो सकती हैं।
4. एक घंटे में दो लाख तक मौतें संभव
अगर विस्फोट किसी घनी आबादी वाले शहर में होता है, तो पहले घंटे में ही 2 लाख या उससे अधिक लोगों की मौत हो सकती है। इनमें से कई लोग तुरंत मारे जाते हैं, लेकिन बड़ी संख्या में लोग झुलसने, सांस लेने में तकलीफ और रेडिएशन के असर से कुछ ही घंटों में दम तोड़ देते हैं।
5. अदृश्य दुश्मन: आयनकारी विकिरण
परमाणु बम का एक घातक पहलू इसका विकिरण होता है। गामा रे, अल्फा और बीटा कण, न्यूट्रॉन जैसी किरणें डीएनए को नुकसान पहुंचाती हैं, जिससे कैंसर, गर्भस्थ शिशु में विकृति और आनुवंशिक बीमारियाँ हो सकती हैं। इस विकिरण का असर कई वर्षों तक बना रहता है, जिससे ज़मीन, पानी और हवा सब ज़हरीले हो जाते हैं।
6. ध्वनि और शॉकवेव: जब हवा भी मारने लगती है
परमाणु विस्फोट से उत्पन्न शॉकवेव (दबाव तरंगें) इतनी तीव्र होती हैं कि कई किलोमीटर दूर तक की इमारतें ढह जाती हैं। यह लहरें कान के पर्दे फाड़ सकती हैं, फेफड़ों और दिल पर गहरा असर डाल सकती हैं और शरीर को हवा में उछालकर पटक सकती हैं।
7. बचने का समय: सिर्फ कुछ सेकंड या मिनट
परमाणु विस्फोट के बाद लोगों के पास सुरक्षित स्थान तक पहुंचने के लिए कुछ ही सेकंड होते हैं – अधिकतम 5 से 15 सेकंड यदि आप विस्फोट के केंद्र के पास हैं, और कुछ मिनट अगर आप दूर हैं और चेतावनी समय पर मिली हो। बचने की संभावनाएं इस पर निर्भर करती हैं कि:
- क्या पास में कोई अंडरग्राउंड शेल्टर है?
- क्या समय रहते सायरन बजा?
- क्या व्यक्ति के पास मास्क या सुरक्षात्मक उपकरण हैं?
अब भी समय है चेतने का
परमाणु बम सिर्फ एक तकनीकी हथियार नहीं, बल्कि मानवता के लिए खतरे की घंटी है। अगर दुनिया में कहीं भी ऐसा विस्फोट होता है, तो उसका असर सिर्फ उस इलाके तक सीमित नहीं रहेगा – हवा, जल और वैश्विक राजनीति तक को बदल देगा।