हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़ ✑ 23 मई : 2025
जम्मू-कश्मीर, 23 मई 2025: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक और पांच अन्य के खिलाफ किरू पनबिजली परियोजना से जुड़ी रिश्वतखोरी के गंभीर आरोपों को लेकर गुरुवार को आरोप पत्र दायर किया। इस मामले में CBI ने 2022 में प्राथमिकी दर्ज की थी, जिसमें बताया गया है कि 2019 में किरू हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर (HEP) परियोजना के सिविल कार्यों के लगभग 2,200 करोड़ रुपये के ठेके को एक निजी कंपनी को देने में कथित अनियमितता हुई।
अस्पताल में भर्ती सत्यपाल मलिक:
सत्यपाल मलिक ने ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर एक पोस्ट में खुद बताया कि वे अस्पताल में भर्ती हैं और फिलहाल किसी से बात करने की स्थिति में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें कई शुभचिंतकों के फोन आ रहे हैं, लेकिन वे बात नहीं कर पा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा,
“अस्पताल में भर्ती सत्यपाल मलिक जी की अति गंभीर हालत को देखते हुए, सरकार से आग्रह है कि उन्हें सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर सर्वश्रेष्ठ उपचार तत्काल उपलब्ध कराया जाए।”
यह मामला इसलिए खास है क्योंकि रिश्वतखोरी के आरोप की शुरुआत खुद सत्यपाल मलिक ने की थी। जब वे 23 अगस्त 2018 से 30 अक्टूबर 2019 तक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे, तब उन्होंने आरोप लगाया था कि उन्हें दो फाइलों को मंजूरी देने के लिए 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश हुई थी, जिनमें से एक किरू जलविद्युत परियोजना से संबंधित थी। मलिक ने रिश्वत स्वीकार करने से साफ मना कर दिया था।
1949 में स्थापित प्रमुख बुनियादी ढांचा और निर्माण कंपनी पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड को किरू परियोजना के सिविल कार्यों का ठेका दिए जाने पर सवाल उठाए गए हैं। इसके अलावा, सीबीआई ने पटेल इंजीनियरिंग के साथ-साथ चेनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड (CVPPPL) के अध्यक्ष, एमडी और निदेशकों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है।
- जम्मू-कश्मीर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और बिजली विभाग द्वारा जांच के बाद पाया गया कि परियोजना के सिविल कार्यों के आवंटन में ई-टेंडरिंग के नियमों का पालन नहीं किया गया।
- जलविद्युत परियोजना में घटिया काम किए जाने के आरोप लगे हैं।
- स्थानीय युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने में भी विफलता पाई गई।
यह मामला जम्मू-कश्मीर की बड़ी पनबिजली परियोजना के ठेकों में कथित भ्रष्टाचार को उजागर करता है, जो क्षेत्रीय विकास और पारदर्शिता के लिए गंभीर सवाल खड़े करता है। वहीं, सत्यपाल मलिक की अस्पताल में भर्ती और उनकी गंभीर हालत ने इस मामले को और संवेदनशील बना दिया है। राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया भी तेज हो गई है, जिसमें सर्वोत्तम इलाज की मांग जोर पकड़ रही है।