हिन्दुस्तान मिरर न्यूज: मंगलवार 24 जून 2025
नई दिल्ली: भारत सरकार विभिन्न देशों की संसदों के साथ संपर्क और संवाद को बढ़ाने के लिए संसदीय मैत्री समूह (Parliamentary Friendship Groups) बनाने की योजना पर काम कर रही है। यह विचार पहलगाम आतंकी हमले और पाकिस्तान के खिलाफ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद विभिन्न देशों में भेजे गए सात प्रतिनिधिमंडलों की सफलता के बाद आया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने इसकी जानकारी दी।
मुंबई में संसद और राज्यों/संघ शासित प्रदेशों की प्राक्कलन समितियों (Estimates Committees) के राष्ट्रीय सम्मेलन में ओम बिड़ला ने कहा कि कई देशों में ऐसे संसदीय समूह मौजूद हैं और वे भारत से भी ऐसी पहल की अपेक्षा करते हैं। उन्होंने बताया कि संसदीय मैत्री समूहों पर अगले संसद सत्र में सभी दलों के साथ चर्चा होगी। ये समूह संसदीय कूटनीति को मजबूत करने और विभिन्न मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएंगे।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के लिए गए प्रतिनिधिमंडलों से आया विचार
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत 33 देशों में गए सात प्रतिनिधिमंडलों में विभिन्न दलों के नेता शामिल थे, जिनमें कांग्रेस के शशि थरूर, एनसीपी की सुप्रिया सुले और डीएमके की कनिमोझी करुणानिधि जैसे विपक्षी नेता भी थे। इन यात्राओं के दौरान संसदीय मैत्री समूहों का विचार सामने आया।
23 साल बाद प्राक्कलन समितियों का राष्ट्रीय सम्मेलन
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला मुंबई में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में शामिल हुए, जहां उन्होंने भारतीय संसद की प्राक्कलन समिति की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक स्मारिका का विमोचन किया। उन्होंने कहा कि प्राक्कलन समितियों ने सरकारी धन के दुरुपयोग को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बिड़ला ने समिति सदस्यों से AI और डेटा एनालिटिक्स जैसी तकनीकों का उपयोग करने का आह्वान किया, ताकि समीक्षा प्रक्रिया को और प्रभावी बनाया जा सके। इसके लिए सदस्यों की ट्रेनिंग भी आयोजित की जाएगी।
कुछ राज्यों में सिफारिशों का कम लागू होना चिंता का विषय
बिड़ला ने बताया कि महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में प्राक्कलन समितियों की 90-95% सिफारिशें लागू हुई हैं, जबकि हिमाचल प्रदेश में यह आंकड़ा मात्र 15% है। उन्होंने सभी समितियों को एक-दूसरे के अनुभव साझा करने का सुझाव दिया ताकि कार्यक्षमता बढ़े।
प्राक्कलन समितियां हैं सरकार पर अंकुश का मजबूत तंत्र
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि प्राक्कलन समितियां सरकार पर अंकुश लगाने का एक मजबूत तंत्र हैं। उन्होंने कई समितियों को ‘पोस्टमार्टम समितियां’ करार देते हुए कहा कि प्राक्कलन समितियां डायनामिक तरीके से काम करती हैं। डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने इन्हें ‘छोटा विधानमंडल’ बताया, जो कई अधिकारों से युक्त है।
75 साल की उपलब्धियां और स्मारिका विमोचन
संसद की प्राक्कलन समिति के सभापति संजय जायसवाल ने बताया कि 10 अप्रैल 1950 को गठित इस समिति ने अब तक शिक्षा, स्वास्थ्य, रक्षा और आधारभूत ढांचे जैसे विषयों पर 1033 रिपोर्ट प्रस्तुत की हैं। समारोह में महाराष्ट्र विधान परिषद के सभापति राम शिंदे और विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर भी मौजूद थे।