हिन्दुस्तान मिरर न्यूज: 25 जुलाई 2025
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का अहम फैसला: नाबालिग को “आई लव यू” कहना यौन उत्पीड़न नहीं, जब तक न हो यौन मंशा
बिलासपुर, छत्तीसगढ़ – छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पाक्सो एक्ट के एक मामले में महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा है कि किसी नाबालिग लड़की को केवल “आई लव यू” कह देना यौन उत्पीड़न नहीं माना जा सकता, जब तक कि इसके पीछे यौन मंशा न हो।
यह फैसला हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति संजय एस. अग्रवाल की एकलपीठ ने दिया, जिसमें उन्होंने ट्रायल कोर्ट द्वारा आरोपी युवक को बरी करने के निर्णय को सही ठहराया और राज्य सरकार की अपील को खारिज कर दिया।
क्या था मामला?
यह घटना 14 अक्टूबर 2019 की है जब 15 वर्षीय छात्रा स्कूल से छुट्टी के बाद घर लौट रही थी। रास्ते में एक युवक ने उसे देखकर “आई लव यू” कहते हुए प्रेम प्रस्ताव रखा। छात्रा ने शिकायत में कहा कि आरोपी पहले भी उसे परेशान करता रहा है। शिकायत के बाद स्कूल शिक्षकों ने युवक को फटकार लगाई और भविष्य में ऐसा न करने की चेतावनी दी।
किन धाराओं में दर्ज हुआ था मामला?
पुलिस ने युवक पर निम्न धाराओं में केस दर्ज किया था:
- IPC धारा 354D (पीछा करना)
- IPC धारा 509 (शब्दों/हावभाव से लज्जा भंग)
- POCSO एक्ट की धारा 8 (यौन उत्पीड़न)
- SC/ST एक्ट की धारा 3(2)(va)
ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट की दलीलें
ट्रायल कोर्ट ने सबूतों के अभाव में युवक को बरी कर दिया था। इस निर्णय को राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में चुनौती दी, लेकिन हाईकोर्ट ने भी पाया कि अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि युवक की मंशा यौन थी।
हाईकोर्ट ने कहा:
“सिर्फ ‘आई लव यू’ कहने से यह नहीं सिद्ध होता कि आरोपी की मंशा यौन उत्पीड़न की थी। जब तक यौन मंशा स्पष्ट रूप से प्रमाणित न हो, तब तक ऐसी बात को यौन उत्पीड़न के रूप में नहीं देखा जा सकता।”
इस निर्णय के बाद स्पष्ट हुआ है कि यौन उत्पीड़न जैसे गंभीर आरोपों में अभियोजन को आरोपी की मंशा को स्पष्ट रूप से सिद्ध करना आवश्यक होगा। हाईकोर्ट का यह फैसला कानून के गलत उपयोग को रोकने की दिशा में भी एक संकेत माना जा रहा है।