हिन्दुस्तान मिरर | 5 अगस्त 2025
नई दिल्ली। भारतीय सेना और वायुसेना द्वारा हाल ही में संयुक्त रूप से संचालित ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की शानदार सफलता के बाद रक्षा क्षेत्र में एक बड़ा कदम उठाया गया है। इस ऑपरेशन में सुपरसोनिक ब्रह्मोस क्रूज़ मिसाइल की मारक क्षमता, लक्ष्यभेदन की सटीकता और रणनीतिक प्रभावशीलता का प्रदर्शन किया गया, जिसने न केवल सैन्य विश्लेषकों को चौंकाया, बल्कि दुश्मन देशों को भी स्पष्ट संदेश दिया है। अब भारतीय सेना और नौसेना ने इस मिसाइल की अधिक संख्या में खरीद का प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय को भेज दिया है।
विश्व की सबसे तेज़ सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल मानी जाने वाली ब्रह्मोस मिसाइल की रेंज अब 450 किलोमीटर तक बढ़ा दी गई है और इसे ज़मीन, हवा, पानी व सबमरीन से दागा जा सकता है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान इसका उपयोग विशिष्ट दुश्मन ठिकानों को लक्ष्य कर सफलतापूर्वक किया गया। इस ऑपरेशन में शामिल सैन्य अधिकारियों के अनुसार, ब्रह्मोस ने न केवल अपने निर्धारित लक्ष्य को पूर्ण सटीकता के साथ भेदा, बल्कि न्यूनतम प्रतिक्रिया समय के साथ दुश्मन को रणनीतिक रूप से पंगु कर देने की क्षमता भी दिखाई।
सूत्रों के अनुसार, भारतीय थलसेना और नौसेना दोनों ही इस मिसाइल को अपने बेड़े में व्यापक रूप से शामिल करना चाहती हैं, जिससे युद्ध की स्थिति में दुश्मन को तुरंत और निर्णायक जवाब दिया जा सके। रक्षा मंत्रालय को भेजे गए प्रस्ताव में ब्रह्मोस मिसाइलों की संख्या, तकनीकी अपग्रेडेशन और संभावित आपूर्ति समय-सीमा का उल्लेख किया गया है।
इस निर्णय से भारत की समुद्री और थल सीमाओं की सुरक्षा और भी मज़बूत होगी। सैन्य विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के आक्रामक तेवरों को संतुलित करने के लिहाज से भी बेहद महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, भारत की ‘आत्मनिर्भर भारत’ नीति के अंतर्गत स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने में भी ब्रह्मोस जैसी मिसाइलों की भूमिका बेहद अहम है।
उल्लेखनीय है कि ब्रह्मोस मिसाइल भारत और रूस के संयुक्त उपक्रम से विकसित की गई है और इसका उत्पादन ‘ब्रह्मोस एयरोस्पेस’ द्वारा किया जा रहा है। यह मिसाइल भारत की रणनीतिक शक्ति का एक अहम हिस्सा बन चुकी है और आने वाले वर्षों में इसकी तैनाती और भी व्यापक स्तर पर की जाएगी।