हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
बिहार चुनाव परिणामों के बाद राजनीतिक चर्चा के केंद्र में आए जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने अपने राजनीतिक अभियान में बड़ी आर्थिक भूमिका निभाई है। उन्होंने सार्वजनिक रूप से दावा किया है कि उन्होंने पिछले तीन वर्षों में अपनी व्यक्तिगत आय से लगभग 98.76 करोड़ रुपए का दान अपनी ही पार्टी जन सुराज को दिया है। इस बीच बड़ा सवाल यह है कि क्या उन्हें इस भारी-भरकम दान पर इनकम टैक्स में छूट मिलेगी?
क्या राजनीतिक दलों को दिए दान पर टैक्स से राहत मिलती है?
टैक्स विशेषज्ञों के अनुसार, पुरानी आयकर व्यवस्था (Old Tax Regime) के तहत किसी भी रजिस्टर्ड राजनीतिक दल को दिया गया दान 100% टैक्स कटौती के लिए पात्र है।
यह छूट आयकर अधिनियम की—
- धारा 80GGC (व्यक्तिगत करदाताओं के लिए) और
- धारा 80GGB (कंपनियों के लिए)
के अंतर्गत मिलती है, बशर्ते दान कैशलेस तरीके से किया गया हो।
मुंबई के चार्टर्ड अकाउंटेंट चिराग चौहान के अनुसार, पुरानी व्यवस्था में राजनीतिक दान पूरी तरह टैक्स फ्री माना जाता है, लेकिन नई कर प्रणाली में यह छूट उपलब्ध नहीं है। वहीं दिल्ली की CA प्रतिभा गोयल का कहना है कि दान की गई राशि स्पष्ट और वैध आय स्रोत से होनी चाहिए, अन्यथा इसे आयकर अधिनियम की धारा 69C के तहत अस्पष्टीकृत व्यय माना जा सकता है और इस पर 60% टैक्स + सरचार्ज + सेस लगाया जा सकता है।
नई कर व्यवस्था (New Tax Regime) क्यों नहीं देती छूट?
नई टैक्स व्यवस्था में जैसा कि टैक्स विशेषज्ञ ओपी यादव बताते हैं, राजनीतिक दलों को दिए गए दान पर कोई कटौती उपलब्ध नहीं है। इसका अर्थ यह है कि यदि प्रशांत किशोर नई कर व्यवस्था के तहत टैक्स रिटर्न दाखिल करते हैं, तो उन्हें जन सुराज को दिए गए दान पर कोई राहत नहीं मिलेगी।
वहीं पुरानी व्यवस्था चुनने पर, वे दान की पूरी राशि को टैक्स कटौती के रूप में क्लेम कर सकते हैं, जिससे उनकी टैक्स देनदारी कम हो सकती है।
किशोर का दावा और राजनीतिक चंदे का परिदृश्य
किशोर ने यह भी बताया कि उन्होंने 2021 से 2024 के बीच 20 करोड़ रुपए आयकर के रूप में जमा किए। वहीं एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) के आंकड़ों के मुताबिक, 2023–24 में बीजेपी को देशभर से 2,243 करोड़ रुपए का सबसे अधिक राजनीतिक चंदा मिला।
इसके बावजूद, जन सुराज ने डिजिटल कैंपेन में कथित तौर पर कांग्रेस, जेडी(यू) और आरजेडी के संयुक्त खर्च से अधिक राशि खर्च की, जबकि देश में चुनावी विज्ञापन खर्च में सबसे आगे बीजेपी रही।
यदि प्रशांत किशोर पुरानी कर व्यवस्था के तहत रिटर्न दाखिल करते हैं और दान की धनराशि का स्रोत विधिपूर्ण और दस्तावेज़ी रूप से प्रमाणित है, तो वे 98.76 करोड़ रुपए के दान पर 100% टैक्स कटौती पाने के पात्र हो सकते हैं।
अन्यथा, नई कर व्यवस्था में उन्हें किसी तरह की टैक्स राहत नहीं मिलेगी।













