हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
दिल्ली धमाके के बाद अलीगढ़ में एक बार फिर सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड में हैं। खुफिया सूत्रों के अनुसार, अलीगढ़ का नाम बीते कुछ वर्षों में कई आतंकी गतिविधियों से जुड़ा रहा है। आईएस के प्रमुख हारिस के इशारों पर यहां एक “अलीगढ़ मॉड्यूल” तैयार किया गया था, जिसमें अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के कई पूर्व छात्र शामिल थे। छह माह के अंदर (जुलाई 2023 से जनवरी 2024) पांच संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया गया था।
📍 एएमयू से निकला मॉड्यूल
यूपी एसटीएफ ने नवंबर 2023 में अब्दुल्ला अर्सलान और माज बिन तारिक को पकड़ा। दोनों एएमयू के छात्र रहे हैं — अब्दुल्ला ने पेट्रोकेमिकल इंजीनियरिंग में बीटेक और माज ने बीकॉम किया था। इनके हैंडलर्स ने इन्हें पुणे मॉड्यूल से जोड़ा था। इसके अलावा वजीहुद्दीन, जो छत्तीसगढ़ से पकड़ा गया, एएमयू का पूर्व छात्र और कोचिंग संचालक था। उसी ने अब्दुल्ला और माज को आईएस से जोड़ा था।
📍 फैजान अंसारी की जांच से खुला रहस्य
16 जुलाई 2023 को एनआईए टीम ने अलीगढ़ में झारखंड निवासी फैजान अंसारी के कमरे की तलाशी ली। फैजान दो वर्ष तक एएमयू में पढ़ा था और डार्कवेब के जरिए आईएस से जुड़ा था। वह स्लीपर सेल के रूप में सक्रिय था।
📍 मन्नान वानी से शुरू हुई कड़ी
कश्मीर के कुपवाड़ा निवासी मन्नान वानी, जो एएमयू से पीएचडी कर रहा था, 2018 में हिजबुल मुजाहिद्दीन से जुड़ गया था। उसके एनकाउंटर में मारे जाने के बाद विश्वविद्यालय का नाम एक बार फिर सुर्खियों में आया।
📍 सिमी की जड़ें भी अलीगढ़ से
सिमी (स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया) की स्थापना भी 25 अप्रैल 1977 को अलीगढ़ में हुई थी। इसका दफ्तर अब सील है, लेकिन यह तथ्य बताता है कि अलीगढ़ लंबे समय से कट्टरपंथी गतिविधियों के केंद्र में रहा है।
📍 हाल की गिरफ्तारियां और सतर्कता
एनआईए और यूपी एटीएस की लगातार कार्रवाई से अलीगढ़ मॉड्यूल ध्वस्त किया गया। जनवरी 2024 में फराज अहमद, फरवरी में फैजान बख्तियार (जिस पर ₹25,000 का इनाम था) और मार्च 2024 में गुवाहाटी से हारिस को पकड़ा गया। हारिस ही आईएस के निर्देश पर अलीगढ़ नेटवर्क चला रहा था।
वर्तमान में सुरक्षा एजेंसियां सभी गतिविधियों पर निगरानी रखे हुए हैं। एसपी सिटी मृगांक शेखर पाठक ने बताया कि संदिग्ध गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है।
















