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अनिरुद्धाचार्य के विवादित बयान: “25 साल की लड़की चार जगह मुंह मार चुकी होती है”—महिलाओं का फूटा आक्रोश, बहिष्कार

हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:27 जुलाई 2025

अनिरुद्धाचार्य के विवादित बयान से महिलाओं में आक्रोश, देशभर में बहिष्कार की मांग तेज
प्रयागराज में एंट्री पर रोक की चेतावनी, धार्मिक मंचों की मर्यादा पर उठे सवाल

प्रयागराज समेत देशभर में उस वक्त जबरदस्त विरोध शुरू हो गया जब मशहूर कथावाचक अनिरुद्धाचार्य ने एक धार्मिक कार्यक्रम में लड़कियों की शादी और उनकी निजी स्वतंत्रता पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी। अपने प्रवचन के दौरान उन्होंने कहा—“25 साल की लड़की चार जगह मुंह मार चुकी होती है” और यह भी जोड़ दिया कि “25 वर्ष की उम्र तक यदि लड़की की शादी नहीं होती, तो उसके चार-पांच बॉयफ्रेंड हो जाते हैं।” इस बयान को सुनते ही सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक आक्रोश फैल गया।

धार्मिक मंच से महिलाओं की गरिमा पर प्रहार

अनिरुद्धाचार्य के इस कथन को लेकर प्रयागराज की महिला संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और देश के विभिन्न हिस्सों में सक्रिय महिलाओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उनका कहना है कि यह बयान सिर्फ असंवेदनशील नहीं बल्कि महिलाओं के आत्मसम्मान और उनकी स्वतंत्रता पर सीधा हमला है। विरोध कर रही महिलाओं ने कहा कि धार्मिक मंचों से इस प्रकार की बयानबाजी न केवल स्त्रियों के प्रति सोच को उजागर करती है, बल्कि समाज को पीछे धकेलने का काम करती है।

प्रयागराज में विरोध, प्रवेश पर रोक की चेतावनी

प्रयागराज में विभिन्न महिला संगठनों ने प्रदर्शन करते हुए चेतावनी दी कि अगर अनिरुद्धाचार्य सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगते, तो उन्हें शहर में घुसने नहीं दिया जाएगा। इसके अलावा कई संगठनों ने देशभर में उनके आयोजनों और कथाओं के बहिष्कार की अपील भी की है। सोशल मीडिया पर भी #BanAniruddhacharya ट्रेंड कर रहा है और कई नामचीन हस्तियों ने भी इस बयान की निंदा की है।

माफी के बावजूद थमा नहीं विवाद

लगातार बढ़ते विरोध के चलते अनिरुद्धाचार्य ने वीडियो जारी कर माफी मांगी, लेकिन मामला यहीं नहीं रुका। माफी के बावजूद महिला संगठनों और युवा वर्ग में नाराजगी बनी हुई है। लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या धार्मिक मंचों का उपयोग अब महिलाओं पर तंज कसने और उनकी जीवनशैली पर निर्णय सुनाने के लिए किया जाएगा?

सामाजिक सोच पर बड़ा प्रश्न

यह विवाद सिर्फ एक कथावाचक के बयान तक सीमित नहीं है। यह उस मानसिकता की भी पहचान कराता है जो महिलाओं की स्वतंत्रता, उनके फैसलों और सामाजिक भागीदारी को संकुचित नजरों से देखती है। आलोचकों का कहना है कि धार्मिक मंचों को समाज में नैतिकता और समावेशिता फैलाने का केंद्र होना चाहिए, न कि ऐसी सोच को प्रचारित करने का जो महिलाओं को अपमानित करे या उनकी स्वतंत्रता पर सवाल उठाए।

यह घटना एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर रही है कि क्या धार्मिक नेताओं को अपने शब्दों की जिम्मेदारी लेनी चाहिए, और क्या ऐसे मंचों की कोई मर्यादा तय होनी चाहिए?

धार्मिक कथावाचक अनिरुद्धाचार्य के महिलाओं को लेकर दिए गए बयान ने राष्ट्रव्यापी नाराजगी को जन्म दिया है। महिलाओं ने विरोध करते हुए बहिष्कार की मांग की है और धार्मिक मंचों की गरिमा को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

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