• Home
  • प्रयागराज
  • अतीक अहमद के करीबी वकील विजय मिश्रा को कोर्ट से झटका, मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने की जमानत याचिका खारिज
Image

अतीक अहमद के करीबी वकील विजय मिश्रा को कोर्ट से झटका, मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने की जमानत याचिका खारिज

हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 12 मई : 2025,

प्रयागराज। माफिया अतीक अहमद से जुड़े उमेश पाल हत्याकांड के आरोपी और उसके करीबी वकील विजय मिश्रा को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। विजय मिश्रा ने अपनी मां के अंतिम संस्कार और तेहरवीं में शामिल होने के लिए 20 दिनों की अल्पकालिक जमानत की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।

कोर्ट में पेश की गई दलीलें, लेकिन नहीं मिली राहत

विजय मिश्रा की ओर से उनकी वकील मंजू सिंह ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर 20 दिन की अल्पकालिक जमानत की मांग की थी। याचिका में कहा गया था कि विजय मिश्रा अपनी मां के अंतिम संस्कार और बाद की धार्मिक रस्मों में भाग लेना चाहते हैं, जो मानवीय आधार पर एक मौलिक अधिकार है।

हालांकि, रविवार रात 8 बजे इस मामले पर हाईकोर्ट की स्पेशल बेंच ने सुनवाई की। इस दौरान शासकीय अधिवक्ता आशुतोष संड ने कोर्ट को अवगत कराया कि विजय मिश्रा की मां का अंतिम संस्कार 11 मई को ही उनके परिजनों द्वारा संपन्न किया जा चुका है। इस तर्क के आधार पर उन्होंने याचिका का विरोध किया।

स्पेशल बेंच ने नहीं मानी अपील, जमानत याचिका खारिज

कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद विजय मिश्रा की याचिका को खारिज कर दिया। जस्टिस संजय कुमार सिंह की सिंगल बेंच ने यह आदेश पारित करते हुए स्पष्ट किया कि जब अंतिम संस्कार हो चुका है और परिजन मौजूद थे, तो याचिका का कोई औचित्य नहीं बचता।

कौन है विजय मिश्रा?

विजय मिश्रा अतीक अहमद का बेहद करीबी माना जाता है और 24 फरवरी 2023 को हुए उमेश पाल हत्याकांड में आरोपी है। फिलहाल वह इटावा जेल में न्यायिक हिरासत में बंद है। इस हत्याकांड में अतीक अहमद और उसके गिरोह के कई सदस्य नामजद किए गए थे। विजय मिश्रा की भूमिका भी इस मामले में बेहद गंभीर मानी जा रही है।

मामले में अगली सुनवाई या राहत की कोई संभावना नहीं

इस आदेश के बाद विजय मिश्रा को न केवल कोर्ट से निराशा हाथ लगी है, बल्कि यह संदेश भी गया है कि कोर्ट संगीन मामलों में मानवीय आधार की दलीलों को भी तथ्यों और परिस्थितियों के अनुरूप ही देखती है। चूंकि अंतिम संस्कार पहले ही हो चुका है, इसलिए कोर्ट ने याचिका को “अप्रासंगिक” मानते हुए खारिज कर दिया।

Releated Posts

इलाहाबाद हाई कोर्ट: निजी अस्पताल मरीजों को मान रहे ‘ATM’ और ‘गिनी पिग

निजी अस्पताल मरीजों को मान रहे ‘ATM’ और ‘गिनी पिग’: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने डॉक्टर को राहत देने…

ByByHindustan Mirror NewsJul 26, 2025

इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन चुनाव की प्रक्रिया शुरू

इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन चुनाव की प्रक्रिया शुरू, अध्यक्ष पद के लिए 11 उम्मीदवार मैदान में प्रयागराज। इलाहाबाद…

करछना हिंसा: छह और आरोपी जेल भेजे गए, भीम आर्मी के नेता अब भी फरार

हिन्दुस्तान मिरर न्यूज: गुरुवार 03 जुलाई 2025 प्रयागराज/करछना। करछना में रविवार को हुए उपद्रव के मामले में पुलिस…

अभिव्यक्ति की आज़ादी की आड़ में सोशल मीडिया का दुरुपयोग फैशन बन गया है” – इलाहाबाद हाई कोर्ट

हिन्दुस्तान मिरर | 3 जुलाई 2025 प्रयागराज (विधि संवाददाता, हिन्दुस्तान मिरर):सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top