नई दिल्ली, हिन्दुस्तान मिरर न्यूज। बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को ढाका की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने फांसी की सजा सुनाई है। अदालत ने उन्हें मानवता के खिलाफ अपराधों का दोषी माना है। आरोप है कि जुलाई–अगस्त 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान उन्होंने कथित तौर पर हत्या के आदेश जारी किए और सुरक्षा बलों को ड्रोन, हेलिकॉप्टर और घातक हथियार इस्तेमाल करने के निर्देश दिए। इस कार्रवाई में कई छात्रों की मौत और गंभीर घायल होने की घटनाएं सामने आई थीं।
ट्रिब्यूनल ने अपने विस्तृत 453 पेज के फैसले में कहा कि आंदोलन के दौरान हसीना ने छात्रों को “राजाकार” कहकर अपमानित भी किया, जो हिंसा भड़काने की कथित रणनीति का हिस्सा था। कोर्ट में फैसला सुनाए जाने के दौरान मौजूद लोगों ने तालियाँ बजाकर स्वागत किया। अदालत के अनुसार हसीना को इन घटनाओं की “मास्टरमाइंड” माना गया है।
पूर्व गृहमंत्री को भी फांसी, पुलिस प्रमुख को उम्रकैद
इसी मामले में विवादित पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान कमल को भी फांसी की सजा सुनाई गई है। वहीं, उस समय के पूर्व पुलिस प्रमुख अब्दुल्ला अल-ममून को उम्रकैद की सजा मिली है। ट्रिब्यूनल का कहना है कि इन अधिकारियों ने सरकार के आदेशों के अनुसार कड़ी कार्रवाई को लागू कराया।
भारत में निर्वासन में हैं हसीना
शेख हसीना इस समय भारत में निर्वासन में रह रही हैं। उन्होंने अगस्त 2024 में देश छोड़ दिया था, जब छात्र आंदोलन ने बांग्लादेश की राजनीति को हिला दिया था। अदालत ने यह भी आदेश दिया है कि उनकी जमीन और संपत्ति जब्त की जाए। फैसले के बाद बांग्लादेश में राजनीतिक तनाव और बढ़ सकता है, क्योंकि आंदोलन और सत्ता परिवर्तन की परिस्थितियाँ अब भी ताज़ा हैं।













