हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में सरकारी लापरवाही का चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां खैर तहसील के चमन नगरिया गांव की रहने वाली सरोज देवी को कागज़ों में मृत घोषित कर दिया गया। सरोज देवी ने वर्ष 2022 में अपने दिवंगत पति जगदीश प्रसाद का मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आवेदन किया था, लेकिन अधिकारियों की घोर लापरवाही के कारण पति के बजाय स्वयं सरोज देवी का ही मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया। इसके बाद से वह जीवित होते हुए भी दस्तावेज़ों में “मृत” दर्ज हो चुकी हैं और पिछले तीन वर्षों से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रही हैं।
सरोज देवी के पति जगदीश प्रसाद का निधन 19 फरवरी 2000 को हो गया था। वर्ष 2022 में जब सरकारी योजनाओं से जुड़े कार्यों के लिए डेथ सर्टिफिकेट की आवश्यकता पड़ी, तो सरोज देवी ने खैर विकासखंड कार्यालय में आवेदन किया। आरोप है कि सेक्रेटरी मधुप सक्सेना ने आवेदन में दर्ज नामों की जांच किए बिना ही प्रमाण पत्र तैयार कर दिया। 1 दिसंबर 2022 को जारी हुए इस गलत मृत्यु प्रमाण पत्र में सरोज देवी की मृत्यु तिथि 19 अक्टूबर 2022 दर्ज कर दी गई।
इस गलती का सीधा असर सरोज देवी के दैनिक जीवन पर पड़ा। कागजों में मृत होने की वजह से उनका आधार कार्ड अपडेट नहीं हो पा रहा, बैंक खाते बंद हो गए और सरकारी योजनाओं का लाभ भी बाधित हो गया। उनका बेटा भी मां के नाम से जुड़े सभी कार्यों में मुश्किलों का सामना कर रहा है।
मामले की शिकायत उप जिलाधिकारी (SDM) खैर से की गई, जिसके बाद जांच कर अधिकारियों को प्रमाण पत्र निरस्त कर सही डेथ सर्टिफिकेट जारी करने के निर्देश दिए गए। हालांकि निर्देश जारी होने के बावजूद तीन साल बीत जाने पर भी सुधार प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी।
सरोज देवी ने पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा, “मैं जिंदा हूं, लेकिन कागज़ों में मर चुकी हूं। तीन साल से चक्कर लगा रही हूं, पर कोई सुनवाई नहीं।” जिला प्रशासन स्तर पर निगरानी जारी है, फिर भी स्थानीय स्तर पर फाइल आगे नहीं बढ़ पा रही है। यह मामला सरकारी तंत्र की गंभीर लापरवाही और संवेदनहीन व्यवस्था की ओर संकेत करता है।















