हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़ ✑ सोमवार 26 मई 2025
प्रयागराज। महाकुंभ 2025 के दौरान मौनी अमावस्या पर हुए दर्दनाक हादसे की जांच निर्णायक मोड़ पर पहुंच रही है। अब जून के प्रथम सप्ताह में न्यायिक आयोग की ओर से सेक्टर मजिस्ट्रेटों के बयान दर्ज किए जाएंगे। इससे पहले मृतकों और घायलों के परिजनों, पुलिस कर्मियों तथा सभी सेक्टरों के सर्किल ऑफिसरों (सीओ) के बयान दर्ज किए जा चुके हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, अब तक करीब 178 से अधिक लोगों ने न्यायिक आयोग को साक्ष्य एवं जानकारी मुहैया कराई है, जिससे हादसे के कारणों, प्रशासनिक तैयारियों और संभावित चूक पर रोशनी डाली जा सके। उम्मीद की जा रही है कि जून माह के अंत तक जांच रिपोर्ट तैयार कर राज्य सरकार को सौंपी जा सकती है।
न्यायिक आयोग कर रहा है निष्पक्ष जांच
मौनी अमावस्या के दिन हुए इस हादसे की जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति हर्ष कुमार की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग गठित किया गया था। इस आयोग में रिटायर्ड आईएएस दिनेश कुमार सिंह और रिटायर्ड आईपीएस वीके गुप्ता को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। आयोग को इस वर्ष जनवरी माह में सरकार द्वारा जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
प्रारंभिक रिपोर्ट से भिन्न थे तथ्य
मेला प्रशासन की ओर से प्रारंभिक तौर पर 30 श्रद्धालुओं की मौत और 60 के घायल होने की पुष्टि की गई थी। हालांकि, हाईकोर्ट में दाखिल एक याचिका में मृतकों की संख्या इससे अधिक होने की आशंका जताई गई थी। इस याचिका के आधार पर हाईकोर्ट ने पूरे मामले को न्यायिक आयोग को स्थानांतरित कर दिया था।
बाद में जांच और सत्यापन के बाद प्रशासन ने करीब 37 मृतकों के परिजनों को मुआवजा प्रदान किया था, जिससे यह स्पष्ट होता है कि प्रारंभिक रिपोर्टों में कुछ तथ्य छूट गए थे या कम आंकलन किया गया था।
आगे की प्रक्रिया
अब आयोग जून के पहले सप्ताह में सेक्टर मजिस्ट्रेटों के बयान दर्ज करेगा, जिनकी जिम्मेदारी मेला क्षेत्र में कानून-व्यवस्था बनाए रखने और श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने की थी। उनके बयान से यह स्पष्ट हो सकेगा कि हादसे के दौरान किस स्तर पर चूक हुई और क्या कोई पूर्व चेतावनी दी गई थी।