हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
अलीगढ़, 25 अक्तूबर: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग के डायलॉग फोरम द्वारा “सर सैयद: एजुकेशन एंड बियॉन्ड” विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता प्रो. एम. शाफे किदवई, निदेशक, सर सैयद एकेडमी, ने सर सैयद अहमद खाँ के तार्किक दृष्टिकोण और सुधारवादी विचारों की समकालीन प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला।
प्रो. किदवई ने अपने व्याख्यान में बताया कि सर सैयद ने भावनात्मक या हिंसात्मक प्रतिक्रियाओं के बजाय तार्किक संवाद, विधिक उपाय और वैज्ञानिक तर्क को प्राथमिकता दी। “खुत्बात-ए-अहमदिया” उनका उत्कृष्ट उदाहरण है, जो विलियम म्यूर के लेखन के प्रत्युत्तर में लिखा गया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सर सैयद ने कभी महिलाओं की शिक्षा का विरोध नहीं किया, बल्कि सामाजिक परिस्थितियों के कारण पुरुष शिक्षा पर विशेष बल दिया।
विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने तार्किक सोच, आत्मनिर्भरता, बौद्धिक ईमानदारी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अपनाने की प्रेरणा दी। उनका संदेश था कि किताबें जलाना मानवता को नुकसान पहुँचाने के बराबर है, इसलिए ज्ञान और स्वतंत्र चिंतन का संरक्षण अनिवार्य है।
कार्यक्रम का स्वागत भाषण डॉ. आमिर रियाज ने दिया, जबकि प्रो. टी. एन. सतीसन ने अध्यक्षीय भाषण में सर सैयद के वैचारिक आंदोलन की आज भी समाज पर प्रभावशीलता पर जोर दिया। हिबा सिद्दीकी ने संचालन किया और डॉ. जैद अहमद सिद्दीकी ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। डॉ. अकील अहमद ने समापन में सर सैयद की राजनीतिक, सामाजिक और बौद्धिक विरासत का सार प्रस्तुत किया।
















