हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 20 अप्रैल: 2025,
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन एक नए विवाद में घिरते नजर आ रहे हैं। हैदराबाद क्रिकेट संघ (एचसीए) के लोकपाल न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) वी. ईश्वरैया ने एचसीए को आदेश दिया है कि वह राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के नॉर्थ पवेलियन स्टैंड से अजहरुद्दीन का नाम हटाए और उनके नाम पर कोई टिकट जारी न किया जाए।
लॉर्ड्स क्रिकेट क्लब की याचिका बनी कारण
यह आदेश एचसीए की सदस्य इकाई लॉर्ड्स क्रिकेट क्लब द्वारा 28 फरवरी 2025 को दायर याचिका के आधार पर पारित किया गया है। याचिका में आरोप लगाया गया था कि अजहरुद्दीन ने एचसीए अध्यक्ष रहते हुए नियमों का उल्लंघन किया और मनमाने फैसले लिए। क्लब का कहना है कि दिसंबर 2019 में उन्होंने नॉर्थ स्टैंड का नाम अपने नाम पर रखने का प्रस्ताव खुद की अध्यक्षता में पारित कराया, जबकि एचसीए संविधान के अनुसार किसी भी प्रस्ताव को आम सभा (AGM) से मंजूरी लेना जरूरी होता है।
लोकपाल का आदेश और भूमिका
न्यायमूर्ति वी. ईश्वरैया एचसीए के लोकपाल होने के साथ-साथ आचरण अधिकारी भी हैं। उन्होंने अजहरुद्दीन के इस कदम को पद का दुरुपयोग बताया और एचसीए को उनके नाम से जुड़ी सभी गतिविधियों पर रोक लगाने का निर्देश दिया।
अजहरुद्दीन की प्रतिक्रिया: आदेश को बताया अवैध
मोहम्मद अजहरुद्दीन ने इस आदेश पर कड़ा ऐतराज जताया है। उन्होंने कहा कि लोकपाल का कार्यकाल 18 फरवरी 2025 को समाप्त हो चुका है और इसके बाद पारित कोई भी आदेश वैध नहीं माना जा सकता। अजहरुद्दीन ने कहा,
“मैं निश्चित रूप से कानूनी सहारा लूंगा और इस आदेश को चुनौती देने के लिए उच्च न्यायालय जाऊंगा। यह शर्म की बात है कि एक भारतीय कप्तान का नाम हटाने के लिए कहा जा रहा है।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि लोकपाल को कोई सेवा विस्तार नहीं मिला है, जो केवल AGM में ही संभव है। ऐसे में उनका आदेश वैधानिक नहीं है।
अजहरुद्दीन का कार्यकाल और विवाद
मोहम्मद अजहरुद्दीन सितंबर 2019 में एचसीए के अध्यक्ष चुने गए थे और उनका कार्यकाल सितंबर 2023 में समाप्त हुआ। उनके कार्यकाल के दौरान संघ में कई विवाद हुए। फरवरी 2023 में उच्चतम न्यायालय ने एचसीए के संचालन के लिए न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता में एक सदस्यीय समिति की नियुक्ति की थी।
विपक्षी गुट ने आरोप लगाया था कि अजहरुद्दीन के करीबी लोग आयु वर्ग की टीमों के चयन में घोटाले में शामिल थे। हालांकि, अजहरुद्दीन ने इन आरोपों से साफ इनकार किया और खुद को निर्दोष बताया।