लखनऊ | साइबर ठगों ने खुद को एटीएस और एसटीएफ अधिकारी बताकर एक रिटायर्ड बैंक कैशियर को डिजिटल अरेस्ट कर लिया और देश विरोधी गतिविधियों में फंसाने की धमकी देकर कुल 28 लाख रुपये की ठगी कर ली। पीड़ित ने साइबर थाना पहुंचकर मुकदमा दर्ज कराया है।
व्हाट्सएप कॉल से शुरू हुई ठगी
रिटायर्ड बैंक कैशियर को एक अज्ञात व्यक्ति ने व्हाट्सएप कॉल की। कॉल पर खुद को एसटीएफ/एटीएस का चीफ बताते हुए ठग ने कहा कि उनके मोबाइल नंबर का उपयोग देश विरोधी गतिविधियों में किया गया है। आरोप लगाया गया कि उनके फोन से सेना की गोपनीय तस्वीरें पाकिस्तान भेजी गई हैं।
डिजिटल अरेस्ट और डराने की रणनीति
ठगों ने पीड़ित को “डिजिटल अरेस्ट” में लेने की बात कही और कहा कि उन्हें जांच में सहयोग करना होगा, वरना देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया जा सकता है। भयभीत पीड़ित से पहली बार 10,99,536 रुपये की मांग की गई। इस डर से उन्होंने बताए गए बैंक खाते में पैसे ट्रांसफर कर दिए।
दूसरी बार और बड़ी रकम की ठगी
पहली बार पैसे देने के बाद भी ठगों ने पीड़ित को नहीं छोड़ा। उन्होंने फिर से धमकाकर कहा कि अब और जांच करनी है और मामला गंभीर होता जा रहा है। इस बार 17,45,000 रुपये की मांग की गई। डर और भ्रम में पीड़ित ने यह रकम भी ठगों के खाते में ट्रांसफर कर दी।
शक होने पर पहुंचा साइबर थाने
इतनी बड़ी रकम देने के बाद भी जब ठगों की मांगें बंद नहीं हुईं और कोई ठोस दस्तावेज या सरकारी प्रक्रिया सामने नहीं आई, तो पीड़ित को शक हुआ। उन्होंने तत्काल साइबर थाने में जाकर पूरे मामले की जानकारी दी और मुकदमा दर्ज कराया।
पुलिस जांच में जुटी, साइबर ठग सक्रिय
साइबर सेल ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक जांच में यह एक संगठित गिरोह का काम प्रतीत हो रहा है, जो सरकारी अधिकारी बनकर डिजिटल माध्यम से ठगी को अंजाम दे रहे हैं। पुलिस ने संबंधित बैंक खातों की जानकारी इकट्ठा कर ली है और कॉल के स्रोत का पता लगाने में जुटी है।
STF चीफ बनकर ठगी: रिटायर्ड बैंक कैशियर से 28 लाख की जालसाजी
लखनऊ | साइबर ठगों ने खुद को एटीएस और एसटीएफ अधिकारी बताकर एक रिटायर्ड बैंक कैशियर को डिजिटल अरेस्ट कर लिया और देश विरोधी गतिविधियों में फंसाने की धमकी देकर कुल 28 लाख रुपये की ठगी कर ली। पीड़ित ने साइबर थाना पहुंचकर मुकदमा दर्ज कराया है।
व्हाट्सएप कॉल से शुरू हुई ठगी
रिटायर्ड बैंक कैशियर को एक अज्ञात व्यक्ति ने व्हाट्सएप कॉल की। कॉल पर खुद को एसटीएफ/एटीएस का चीफ बताते हुए ठग ने कहा कि उनके मोबाइल नंबर का उपयोग देश विरोधी गतिविधियों में किया गया है। आरोप लगाया गया कि उनके फोन से सेना की गोपनीय तस्वीरें पाकिस्तान भेजी गई हैं।
डिजिटल अरेस्ट और डराने की रणनीति
ठगों ने पीड़ित को “डिजिटल अरेस्ट” में लेने की बात कही और कहा कि उन्हें जांच में सहयोग करना होगा, वरना देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया जा सकता है। भयभीत पीड़ित से पहली बार 10,99,536 रुपये की मांग की गई। इस डर से उन्होंने बताए गए बैंक खाते में पैसे ट्रांसफर कर दिए।
दूसरी बार और बड़ी रकम की ठगी
पहली बार पैसे देने के बाद भी ठगों ने पीड़ित को नहीं छोड़ा। उन्होंने फिर से धमकाकर कहा कि अब और जांच करनी है और मामला गंभीर होता जा रहा है। इस बार 17,45,000 रुपये की मांग की गई। डर और भ्रम में पीड़ित ने यह रकम भी ठगों के खाते में ट्रांसफर कर दी।
शक होने पर पहुंचा साइबर थाने
इतनी बड़ी रकम देने के बाद भी जब ठगों की मांगें बंद नहीं हुईं और कोई ठोस दस्तावेज या सरकारी प्रक्रिया सामने नहीं आई, तो पीड़ित को शक हुआ। उन्होंने तत्काल साइबर थाने में जाकर पूरे मामले की जानकारी दी और मुकदमा दर्ज कराया।
पुलिस जांच में जुटी, साइबर ठग सक्रिय
साइबर सेल ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक जांच में यह एक संगठित गिरोह का काम प्रतीत हो रहा है, जो सरकारी अधिकारी बनकर डिजिटल माध्यम से ठगी को अंजाम दे रहे हैं। पुलिस ने संबंधित बैंक खातों की जानकारी इकट्ठा कर ली है और कॉल के स्रोत का पता लगाने में जुटी है।