हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: 23 अप्रैल: 2025,
जम्मू-कश्मीर के पहलागाम में हुए हालिया आतंकी हमले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। इस हमले में 28 लोगों की जान चली गई, जिसकी देश भर में निंदा की जा रही है। सत्ता और विपक्ष के सभी नेताओं ने इस हमले की आलोचना की है, लेकिन कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के पति और व्यवसायी रॉबर्ट वाड्रा का बयान इस मुद्दे पर नया विवाद खड़ा कर रहा है।
रॉबर्ट वाड्रा की प्रतिक्रिया: “मजहब देखकर मारी गई गोली”
न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में वाड्रा ने सबसे पहले हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस हमले की जड़ देश में मुसलमानों के खिलाफ बने माहौल में है।
“अगर आप बाबर और औरंगजेब की बातें उठाते हैं, मस्जिदों में सर्वे करते हैं, या नमाज़ रोकते हैं तो इससे अल्पसंख्यकों में असंतोष फैलता है,” – रॉबर्ट वाड्रा
वाड्रा का कहना है कि धर्म और राजनीति को अलग किया जाना चाहिए, वरना इस तरह के आतंकी हमले होते रहेंगे। उन्होंने कहा कि इस हमले में आतंकी पहचान पत्र देखकर गोली मार रहे थे, जो इस बात का संकेत है कि हमला धार्मिक पहचान के आधार पर किया गया।
“देश में हिंदू-मुस्लिम विभाजन से आतंकी संगठनों को बल मिल रहा है”
वाड्रा ने अपने बयान में कहा:
“अगर हमारे देश में हिंदू और मुस्लिमों के बीच विभाजन बढ़ता है तो इससे आतंकी संगठनों को लगता है कि मुसलमानों को दबाया जा रहा है। इससे वो खुद को ‘रक्षात्मक’ स्थिति में मानकर हमले करते हैं।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि प्रधानमंत्री को इस मुद्दे पर स्पष्ट और सशक्त संदेश देना चाहिए, जिससे देश के अल्पसंख्यक खुद को सुरक्षित महसूस कर सकें।
“एक समुदाय को अनुमति, दूसरे को रोक—दुनिया देख रही है”
रॉबर्ट वाड्रा ने यह आरोप भी लगाया कि देश में एक धर्म विशेष को सार्वजनिक आयोजन की अनुमति दी जाती है, जबकि दूसरे समुदाय को रोका जाता है, जिससे वैश्विक छवि पर असर पड़ता है।
“अमरनाथ यात्रा आने वाली है, उसमें भी बाधा आ सकती है,” उन्होंने कहा।
बयान से छिड़ा नया सियासी विवाद
जहां एक ओर रॉबर्ट वाड्रा का यह बयान अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और धर्मनिरपेक्षता पर सवाल उठाता है, वहीं दूसरी ओर इससे राजनीतिक विवाद भी गहराता नजर आ रहा है। इस बयान पर पक्ष और विपक्ष की प्रतिक्रिया अब देखना बाकी है।