सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले ने प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत हजारों शिक्षकों की चिंता बढ़ा दी है। आदेश के मुताबिक अब सभी शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण करना अनिवार्य कर दिया गया है। इसमें वे शिक्षक भी शामिल हैं, जिन्हें आरटीई एक्ट 2009 लागू होने से पहले नियुक्त किया गया था। अलीगढ़ जिले के 2115 स्कूलों में कार्यरत 9000 से अधिक शिक्षकों में से करीब 3000 शिक्षक सीधे इस फैसले से प्रभावित होंगे। इनमें मृतक आश्रित कोटे से नियुक्त, इंटरमीडिएट के साथ बीटीसी करने वाले और स्नातक डिग्री न रखने वाले शिक्षक सबसे बड़ी परेशानी में हैं। उनका कहना है कि पढ़ाई और सरकारी कार्यभार के बीच टीईटी की तैयारी करना बेहद कठिन है।
सेवा समाप्ति और आजीविका संकट की चिंता
उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाई स्कूल पूर्व माध्यमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष मो. अहमद और महामंत्री मुकेश कुमार ने जिलाधिकारी को राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर विरोध जताया। उनका कहना है कि देशभर में लगभग 40 लाख शिक्षक इस फैसले से प्रभावित होंगे, जिनमें से कई 48 वर्ष से अधिक उम्र पार कर चुके हैं। ऐसे में नौकरी बचाने और प्रोन्नति पाने के लिए उन्हें अनावश्यक संकट में डाला गया है। संगठन ने मांग की है कि सरकार संसद में अध्यादेश लाकर इस नियम को समाप्त करे।
शिक्षक संगठनों का संयुक्त आंदोलन
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ अलीगढ़ के जिलाध्यक्ष डॉ. राजेश चौहान और मंत्री सुशील शर्मा के नेतृत्व में सैकड़ों शिक्षक जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे और नारेबाजी की। उन्होंने प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपते हुए मांग की कि 2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों पर यह नियम लागू न किया जाए और उनकी सेवा-सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। सभा में डॉ. कैलाश रावत, संजय भारद्वाज, मनोज वार्ष्णेय, सुनीता चौधरी, विपुल राजौरा, मुकेश उपाध्याय, नंदिता शर्मा, पूजा भटनागर समेत अनेक शिक्षक मौजूद रहे। सभी ने आह्वान किया कि शिक्षकों की एकजुटता से ही इस संकट का समाधान निकलेगा।













