हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़ ✑ 20 मई : 2025
हापुड़, 20 मई 2025: एसटीएफ की टीम ने हापुड़ की मोनाड यूनिवर्सिटी में चल रहे बड़े फर्जी डिग्री और मार्कशीट रैकेट का पर्दाफाश किया है। जांच में सामने आया है कि हरियाणा के पलवल निवासी संदीप सेहरावत ने विदेश में नौकरी और उच्च शिक्षा के लिए हजारों फर्जी डिग्री और मार्कशीट बेची हैं। एसटीएफ की टीम वर्तमान में यूनिवर्सिटी में छापेमारी और जांच में जुटी है।
रैकेट का खुलासा:
जांच में पता चला है कि संदीप सेहरावत दिल्ली की एक प्रिंटिंग प्रेस में काम करता था, जो डिग्री और मार्कशीट छापने का काम करती थी। इसी दौरान वह विजेंद्र सिंह हुड्डा से मिला, जो मोनाड यूनिवर्सिटी का चेयरमैन है। सेहरावत ने हुड्डा को फर्जी डिग्री बनाने में इस्तेमाल होने वाले कागज, होलोग्राम और मार्किंग की तकनीक समझाई। इसके बाद हुड्डा ने उसे हापुड़ बुलाकर इस घोटाले में शामिल कर लिया।
जांच में हुआ चौंकाने वाला खुलासा:
एसटीएफ के एसएसपी घुले सुशील चंद्रभान ने बताया कि विजेंद्र और संदीप की यह आपराधिक साझेदारी दिल्ली और हापुड़ दोनों जगह सक्रिय थी। जांच में यह भी सामने आया कि विजेंद्र हुड्डा फेल या कम नंबर लाने वाले छात्रों को फर्जी मार्कशीट देकर दाखिला दिलाता था। इस पूरे मामले में मोनाड यूनिवर्सिटी के कई अधिकारी और कर्मचारी भी शामिल पाए गए हैं, जिनसे गहन पूछताछ जारी है।
फर्जी डिग्री से कर रहे सरकारी नौकरी:
पुलिस पूछताछ में संदीप ने स्वीकार किया कि जिन लोगों ने उससे फर्जी डिग्री और मार्कशीट खरीदी, वे देश के विभिन्न हिस्सों में सरकारी नौकरी कर रहे हैं। दिल्ली में अधिकतर ऐसे लोग उसके पास आते थे, जिन्हें विदेश में नौकरी या उच्च शिक्षा के लिए फर्जी प्रमाणपत्रों की जरूरत होती थी। आशंका जताई जा रही है कि अब तक 10 हजार से अधिक फर्जी डिग्री और मार्कशीट बेची जा चुकी हैं।
गिरफ्तारियां और आगामी कार्रवाई:
एसटीएफ ने रविवार को मोनाड यूनिवर्सिटी के चेयरमैन विजेंद्र सिंह हुड्डा के साथ प्रो-चांसलर नितिन कुमार सिंह, चेयरमैन के निजी सचिव मुकेश ठाकुर, वेरीफिकेशन डिपार्टमेंट के हेड गौरव शर्मा, विपुल ताल्यान, एडमिशन डायरेक्टर इमरान और अकाउंटेंट अनिल बत्रा को गिरफ्तार किया है। सभी आरोपियों को रिमांड पर लेकर पूछताछ की जा रही है।
एसटीएफ की आगामी रणनीति:
एसटीएफ की टीम यूनिवर्सिटी में गहराई से जांच कर रही है ताकि इस बड़े फर्जीवाड़े में शामिल अन्य लोगों का भी पता लगाया जा सके। इसके साथ ही उन सभी फर्जी डिग्रीधारकों की सूची बनाने का काम भी जारी है, जिनके माध्यम से यह घोटाला फैलाया गया।