नई दिल्ली/कुशीनगर, 10 सितम्बर 2025 —
आज विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस (World Suicide Prevention Day) पूरी दुनिया में मनाया जा रहा है। इस वर्ष का केंद्रीय संदेश है — “Creating Hope Through Action” (कार्रवाई के माध्यम से आशा का निर्माण)। इसका उद्देश्य समाज में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाना, आत्महत्या जैसे संवेदनशील विषय पर खुलकर संवाद करना और ज़रूरतमंद लोगों तक सहायता पहुँचाना है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हर साल लगभग 7 लाख लोग आत्महत्या के कारण अपनी जान गंवा देते हैं, यानी हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति। विशेषज्ञों का कहना है कि आत्महत्या रोकी जा सकती है यदि समय पर मानसिक स्वास्थ्य सहायता और परिवारिक-सामाजिक सहयोग मिले।
भारत में भी आत्महत्या की घटनाएँ लगातार चिंता का विषय रही हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की ताज़ा रिपोर्ट बताती है कि देश में हर साल लाखों लोग अवसाद, पारिवारिक कलह, आर्थिक संकट और सामाजिक दबाव के चलते इस कदम को उठाते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का सुझाव:
- अवसाद और तनाव को अनदेखा न करें, समय पर काउंसलिंग लें।
- परिवार और मित्रों के साथ संवाद बनाए रखें।
- आत्महत्या की प्रवृत्ति दिखने पर तुरंत हेल्पलाइन नंबर से संपर्क करें।
भारत सरकार और कई गैर-सरकारी संगठन हेल्पलाइन सेवाएँ चला रहे हैं। जैसे —
- किरण हेल्पलाइन (1800-599-0019)
- आसरा (91-22-27546669 / 27546667)
Geete International School, Padrauna Kushinagar (UP) के प्रधानाचार्य श्री दिनेश कुमार सिंह का वक्तव्य ने कहा कि —
“आत्महत्या किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। जीवन की हर कठिनाई अस्थायी होती है लेकिन जीवन अमूल्य है। हमें अपने विद्यार्थियों और युवाओं में आत्मविश्वास, धैर्य और सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने की आवश्यकता है। स्कूल स्तर पर बच्चों को मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा, सहानुभूति और संवाद की संस्कृति देनी चाहिए, ताकि वे कठिन परिस्थितियों में हार न मानें बल्कि उनका डटकर सामना करें।”
विशेषज्ञों का मानना है कि आत्महत्या एक व्यक्तिगत समस्या नहीं बल्कि सामाजिक ज़िम्मेदारी है। यदि हम अपने आसपास के लोगों की तकलीफ़ों को पहचानें और उन्हें सहारा दें तो अनेक जिंदगियाँ बचाई जा सकती हैं।
संदेश साफ़ है: “जीवन अनमोल है, हर समस्या का समाधान है, बस मदद माँगने और मदद देने का साहस चाहिए।”