हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़ ✑ मंगलवार 27 मई 2025
मथुरा: श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद से जुड़े बहुचर्चित सिविल वाद संख्या-7 में एक अहम मोड़ सामने आया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने ‘श्रीजी राधारानी वृषभानु कुमारी वृंदावनी’ को पक्षकार बनाए जाने की याचिका को खारिज कर दिया है।
यह याचिका अधिवक्ता रीना एन. सिंह की ओर से दाखिल की गई थी, जिन्होंने खुद को राधारानी की “नेक्स्ट फ्रेंड” (भक्त) बताया था। उन्होंने दावा किया था कि राधारानी भगवान श्रीकृष्ण की प्रथम पत्नी हैं और दोनों अनादिकाल से पूजे जाते हैं।
रीना एन. सिंह की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया था कि भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी न केवल धार्मिक रूप से एक-दूसरे से जुड़े हैं, बल्कि मथुरा स्थित विवादित 13.37 एकड़ भूमि की संयुक्त स्वामित्व में भी हैं।
इस दावे के समर्थन में उन्होंने हिंदू धर्मग्रंथों जैसे स्कंद पुराण, श्रीमद्भागवत महापुराण, और ब्रह्मवैवर्त पुराण का उल्लेख किया, जिनमें राधा और श्रीकृष्ण के संबंध का वर्णन है।
मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा ने स्पष्ट कहा कि राधारानी को श्रीकृष्ण की पत्नी तथा संपत्ति की सह-मालकिन मानने का आधार केवल पौराणिक ग्रंथ हैं, जो कानून की दृष्टि से सशक्त साक्ष्य नहीं माने जा सकते।
कोर्ट ने यह भी कहा कि जब तक इस दावे के पक्ष में ठोस भौतिक प्रमाण प्रस्तुत नहीं किए जाते, तब तक इसे एक “कमजोर कानूनी आधार” ही माना जाएगा। इसलिए, इस आधार पर राधारानी को पक्षकार बनाए जाने की मांग कानूनन पोषणीय नहीं है।
हालांकि कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि यदि भविष्य में इस संबंध में कोई ठोस और स्वीकार्य प्रमाण प्रस्तुत किया जाता है, तो फिर राधारानी को पक्षकार बनाने पर पुनर्विचार किया जा सकता है।
आगे क्या?
फिलहाल अदालत ने राधारानी को पक्षकार बनाने की याचिका को खारिज करते हुए अगली सुनवाई की तिथि 4 जुलाई 2025 निर्धारित की है। इस बीच मामले से जुड़े अन्य मुद्दों पर बहस जारी रहेगी।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद दशकों पुराना मामला है, जिसमें श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट और अन्य हिन्दू पक्षकारों की ओर से दावा किया गया है कि जिस स्थान पर शाही ईदगाह मस्जिद स्थित है, वह असल में श्रीकृष्ण का जन्म स्थान है। यह विवाद लगातार न्यायालय में विचाराधीन है और सामाजिक व धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत संवेदनशील माना जाता है।