हिन्दुस्तान मिरर न्यूज: 20 जुलाई 2025
अवैध कॉलोनियों का जाल:
अलीगढ़-पलवल हाईवे, यमुना एक्सप्रेसवे और जेवर एयरपोर्ट की नजदीकी ने जमीन के दामों में तेजी से बढ़ोतरी की संभावना बनाई है। इसी का फायदा उठाते हुए भूमाफियाओं और बिल्डरों ने टप्पल व खैर क्षेत्र के लगभग 90 गांवों में 200 से अधिक अवैध कॉलोनियां बसा दी हैं। किसानों से खेती योग्य जमीन खरीदकर बिना भू-उपयोग परिवर्तन कराए, बाउंड्री वॉल बनाकर अवैध रूप से प्लॉटिंग की जा रही है।
फर्जीवाड़े का खुलासा ऐसे हुआ:
यीडा (यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण) के सीईओ की शिकायत पर डीएम विशाख जी के निर्देश पर प्रशासन और पुलिस की टीम ने कार्रवाई शुरू की। जांच में पता चला कि दिल्ली, हरियाणा, मुंबई व कोलकाता तक के बिल्डर इन कॉलोनियों को बेचने में लगे हैं।
फर्जी निवेश शिविर और धोखाधड़ी:
विक्रय को आकर्षक बनाने के लिए आरोपी वीकेंड में टेंट, झंडे और लंच की व्यवस्था कर निवेश शिविर लगाते थे। एसपी देहात अमृत जैन व सीओ खैर ने सादे वस्त्रों में जाकर मौके पर जांच की। वहां निवेशकों को गलत नक्शे दिखाकर प्लॉट बेचने की पुष्टि हुई। मौके पर दिखाई गई जमीनों की असलियत यह थी कि कई स्थानों पर किसानों की फसल लगी हुई थी।
गैंग का इतिहास और पुलिसिया कार्रवाई:
टप्पल थाना क्षेत्र में वर्ष 2020 से सक्रिय इस गैंग के खिलाफ पहले ही जेएसएम कंपनी के विरुद्ध 2023 में पहला मुकदमा दर्ज हुआ था। अब तक दर्ज सभी मामलों में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है। पुलिस ने गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया है, हालांकि कुछ आरोपियों ने हाईकोर्ट से गिरफ्तारी पर स्टे ले रखा है।
संपत्तियां चिह्नित, कुर्की की कार्रवाई शुरू:
पुलिस ने अब तक 40 लाख रुपये मूल्य की संपत्तियां और वाहन चिह्नित कर लिए हैं। करीब 60 हजार वर्गमीटर जमीन की खरीद-बिक्री की गई, जिसमें से 15 हजार वर्गमीटर जमीन का कोई वैध रिकॉर्ड नहीं है।
निवेशकों के लिए चेतावनी और यीडा की पहल:
यीडा ने अपनी अधिसूचित जमीनों की गाटा संख्या को सार्वजनिक करने और रजिस्ट्रार कार्यालय में जानकारी बोर्ड लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। साथ ही, पुलिस ने लोगों से अपील की है कि जमीन की खरीद से पहले जांच लें कि वह जमीन यीडा की तो नहीं है।
एडीए को करोड़ों का नुकसान:
जानकारों के अनुसार एक एकड़ जमीन पर कॉलोनी का लेआउट पास कराने में लगभग 50 लाख रुपये खर्च होते हैं। अवैध प्लॉटिंग के चलते बिल्डर यह खर्च बचाकर सस्ते दाम में प्लॉट बेचते हैं, जिससे वैध बिल्डरों और एडीए (अलीगढ़ विकास प्राधिकरण) को बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है।