हिन्दुस्तान मिरर न्यूज: 2अगस्त 2025
अमेरिकी टैरिफ और मीडिया अटकलों के बीच एक बड़ी खबर सामने आई है—भारत ने रूस से कच्चा तेल खरीदना बंद नहीं किया है। समाचार एजेंसी ANI ने सरकारी सूत्रों के हवाले से पुष्टि की है कि भारत की तेल रिफाइनरियां अब भी रूसी आपूर्तिकर्ताओं से कच्चा तेल मंगा रही हैं। यह व्यापार पूरी तरह से कीमत, गुणवत्ता, भंडारण और रसद जैसे आर्थिक कारकों पर आधारित है।
पिछले कुछ दिनों से ऐसी मीडिया रिपोर्ट्स सामने आ रही थीं, जिनमें दावा किया गया था कि अमेरिका के दबाव और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नाराज़गी के बाद भारत ने रूस से तेल खरीद पर रोक लगा दी है। लेकिन ANI की रिपोर्ट ने इन दावों को खारिज कर दिया है।
सूत्रों के अनुसार, भारत ने रूस से तेल खरीद को लेकर कोई रोक नहीं लगाई है और न ही इस पर कोई अमेरिकी प्रतिबंध सीधे तौर पर प्रभावी हुआ है। रूसी तेल पर प्रतिबंध नहीं, बल्कि G7 और यूरोपीय संघ द्वारा एक मूल्य-सीमा (price cap) तंत्र लागू किया गया है, जिसका उद्देश्य रूस की तेल बिक्री से होने वाले राजस्व को सीमित करते हुए वैश्विक आपूर्ति को बनाए रखना है।
भारत ने एक जिम्मेदार वैश्विक ऊर्जा भागीदार की तरह व्यवहार किया है और यह सुनिश्चित किया है कि वैश्विक ऊर्जा बाजार में स्थिरता बनी रहे। भारत द्वारा किया गया आयात न केवल अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत वैध है, बल्कि वह वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा में भी योगदान देता है।
रूस, जो कि दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल उत्पादक और निर्यातक है, रोजाना लगभग 9.5 मिलियन बैरल कच्चा तेल निकालता है और उसमें से करीब 4.5 मिलियन बैरल का निर्यात करता है। भारत के लिए रूस एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता बन गया है, खासकर तब से जब पश्चिमी देशों ने रूस पर यूक्रेन युद्ध को लेकर प्रतिबंध लगाए।
कुल मिलाकर, भारत ने न केवल अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय नीतियों और वैश्विक बाजार स्थिरता को भी प्राथमिकता दी है। अमेरिकी टैरिफ और राजनीतिक दबाव के बावजूद, भारत का रुख व्यावसायिक और रणनीतिक दृष्टिकोण से संतुलित रहा है।