हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में देशभर के सभी शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) को अनिवार्य कर दिया है। इस फैसले ने सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षकों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। आदेश के अनुसार अब शिक्षकों को दो साल के भीतर TET पास करना होगा, अन्यथा उनकी नौकरी पर संकट आ सकता है। इसी बीच यूपी में दो शिक्षकों ने तनाव के चलते आत्महत्या कर ली, जबकि सैकड़ों शिक्षक सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं।
CM योगी का फरमान
शिक्षकों की परेशानियों को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ा कदम उठाया है। सीएम योगी ने फरमान जारी किया है कि यूपी सरकार सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को चुनौती देगी। इसके लिए सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में रिवीजन पिटीशन दाखिल किया जाएगा। सीएम योगी ने कहा कि राज्य के शिक्षकों का अनुभव और सेवाकाल उनकी सबसे बड़ी योग्यता है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। साथ ही, समय-समय पर शिक्षकों को सरकार की ओर से ट्रेनिंग दी जाती रही है।
शिक्षकों का विरोध और तर्क
शिक्षकों ने TET की अनिवार्यता का जोरदार विरोध किया है। उनका कहना है कि नौकरी के बीच में सेवा शर्तों में बदलाव करना व्यावहारिक नहीं है। कई शिक्षकों का तर्क है कि अगर ऐसा नियम बनाया जा रहा है तो इसे अन्य सेवाओं, जैसे ज्यूडिशियल सर्विसेस, में भी लागू किया जाना चाहिए। उनका कहना है कि 10–15 साल से पढ़ा रहे अनुभवी शिक्षकों के लिए अचानक TET पास करना आसान नहीं है।
भविष्य और रोज़ी-रोटी पर असर
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शिक्षकों का मानना है कि उनका भविष्य और परिवार की रोज़ी-रोटी खतरे में पड़ गई है। उम्र और पारिवारिक जिम्मेदारियों की वजह से कई शिक्षक अब इस परीक्षा को पास करने में सक्षम नहीं हैं। शिक्षकों का कहना है कि अनुभव ही उनकी सबसे बड़ी पात्रता है और इसे मान्यता दी जानी चाहिए। वहीं, सीएम योगी का कदम शिक्षकों को बड़ी राहत देने वाला माना जा रहा है।















