प्रयागराज।हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति के एक महत्वपूर्ण मामले में नाबालिग के अधिकारों की रक्षा करते हुए बड़ा निर्णय सुनाया है। न्यायमूर्ति मंजूरानी चौहान की पीठ ने शिकोहाबाद के विद्युत वितरण खंड के कार्यकारी अभियंता द्वारा पारित आदेश को रद्द करते हुए कहा कि “नाबालिग के मामले में केवल देरी को आधार बनाकर अनुकंपा नियुक्ति से इनकार करना अनुचित है।”
मामला वैभव कुमार यादव से संबंधित है, जिन्होंने अपने दिवंगत पिता की मृत्यु के बाद अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया था। याची के पिता बिजली विभाग में कुशल श्रमिक के पद पर कार्यरत थे। विभाग ने आवेदन को यह कहकर निरस्त कर दिया कि आवेदन में देरी हुई है। इस निर्णय के खिलाफ याची ने अधिवक्ता गोपालजी खरे के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
पहली ही सुनवाई में अदालत ने विभागीय आदेश को रद्द करते हुए कहा कि नाबालिग की स्थिति में तकनीकी कारणों से अवसर से वंचित करना न्यायसंगत नहीं है। अदालत ने यह भी कहा कि अनुकंपा नियुक्ति का उद्देश्य मृत कर्मचारी के परिवार को आर्थिक सहायता प्रदान करना है, इसलिए देरी जैसे तकनीकी आधारों पर इस अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने विद्युत वितरण खंड, शिकोहाबाद के कार्यकारी अभियंता को निर्देश दिया है कि वे वैभव कुमार यादव के आवेदन पर चार सप्ताह के भीतर पुनः विचार कर सकारण आदेश जारी करें। यह आदेश न केवल याची के लिए राहतकारी साबित हुआ है बल्कि भविष्य में ऐसे मामलों के लिए भी मार्गदर्शक सिद्धांत प्रस्तुत करता है।

















