हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश पर लगातार किए जा रहे दावों और आक्रामक रुख ने एक बार फिर भारत की वन-चाइना पॉलिसी पर बहस को तेज कर दिया है। हाल ही में शंघाई हवाई अड्डे पर एक भारतीय महिला यात्री को चीनी अधिकारियों ने रोक लिया और उसके भारतीय पासपोर्ट को मान्यता देने से इनकार कर दिया, क्योंकि वह अरुणाचल प्रदेश की निवासी थीं। यह कदम चीन की उस पुरानी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसके तहत वह विवादित क्षेत्रों पर अपना दबदबा दिखाने के लिए बार-बार दावे करता है।
भारत अरुणाचल प्रदेश को अपना अभिन्न हिस्सा मानता है और वहां लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत सरकारें चुनी जाती हैं, जबकि चीन इसे अपने तथाकथित “साउथ तिब्बत” का हिस्सा बताकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भ्रम फैलाने की कोशिश करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन ताइवान और तिब्बत की तरह ही विवादित बयान देकर भू-राजनीतिक दबाव बनाने की नीति अपनाता है।
इन घटनाओं ने भारतीय विदेश नीति निर्माताओं को इस बात पर विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है कि क्या वक्त आ गया है जब भारत को वन-चाइना पॉलिसी पर दोबारा सोचने की आवश्यकता है। भारत वर्षों से इस नीति का समर्थन करता आया है, लेकिन चीन की लगातार उकसाने वाली गतिविधियाँ इस पर पुनर्विचार की जरूरत को उजागर करती हैं।













