हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
लोकसभा में मंगलवार को चुनाव सुधारों पर हुई चर्चा के दौरान कई महत्वपूर्ण सुझाव सामने आए। बहस का मुख्य केंद्र चुनावी पारदर्शिता, मतदान प्रक्रिया और उम्मीदवारों की पात्रता रही। शिवसेना नेता और कल्याण से सांसद श्रीकांत शिंदे ने लोकसभा व विधानसभा चुनाव लड़ने की न्यूनतम आयु 25 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष करने की मांग उठाई। उन्होंने तर्क दिया कि जब 18 वर्ष का नागरिक वोट डालने के योग्य माना जाता है, तो उसे चुनाव लड़ने का अधिकार भी मिलना चाहिए।
शिंदे ने इसके साथ ही प्रवासी मतदाताओं के लिए रिमोट वोटिंग शुरू करने और देशभर में कॉमन वोटर लिस्ट लागू करने की भी वकालत की। उन्होंने कहा कि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराए जाने चाहिए ताकि संसाधनों की बचत हो सके और जनता को राहत मिले। बहस के दौरान उन्होंने महाराष्ट्र में विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी पर भी हमला बोला और स्थानीय निकाय चुनावों में कार्यकर्ताओं को समर्थन न देने का आरोप लगाया।
बहस में हिस्सा लेते हुए NCP-SP नेता सुप्रिया सुले ने चुनाव आयोग की स्वतंत्रता पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग सरकार का हिस्सा जैसा दिखाई दे रहा है, जो किसी भी लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। सुले ने महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियों का आरोप लगाते हुए कहा कि कई जगहों पर सत्ताधारी नेताओं के रिश्तेदार निर्विरोध चुनाव जीत गए, जो निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न लगाता है।
इसी बीच, CPI(M) सांसद अमरा राम और RJD सांसद अभय कुमार सिन्हा ने भी बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग दोहराई। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) पर जारी विवाद और भरोसे की कमी को देखते हुए बैलेट पेपर व्यवस्था को पुनः लागू किया जाना चाहिए।
लोकसभा की इस बहस में चुनाव सुधारों को लेकर विभिन्न पार्टियों के नेताओं ने अपनी-अपनी चिंताएँ और सुझाव रखे, जिससे स्पष्ट है कि चुनाव प्रणाली में बदलाव को लेकर व्यापक चर्चा की आवश्यकता महसूस की जा रही है।













