
सीपी सिंह। हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
लखनऊ। देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के नए भाजपा अध्यक्ष की घोषणा 14 दिसंबर को होगी। इसके लिए रोड़मैप और चुनाव कार्यक्रम जारी कर दिया गया है। अब सियासी गलियारों में सवाल तैर रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष की ताजपोशी पंकज चौधरी, केशव प्रसाद मौर्य, बीएल वर्मा, स्वतंत्रदेव या फिर साध्वी निरंजन ज्योति या फिर कोई चौंकाने वाला नाम भी हो सकता है। इसे लेकर अध्यक्ष पद के करीब दर्जन भर दावेदारों की सांसे अटकी पड़ी हैं। उधर संगठन महामंत्री बीएल संतोष शुक्रवार को लखनऊ पहुंच गए। उन्होंने शाम को ही योगी आदित्यनाथ से भी मंत्रणा करके पूरा रोडमैप तैयार कर लिया है।
यूपी के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी का कार्यकाल काफी समय पहले ही समाप्त हो चुका हे। अगली साल 2026 में पंचायत चुनाव होने हैं। उसके बाद विधान सभा चुनावों की रणभरी बज जाएगी। ऐसे में यूपी के प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव को लेकर पिछले हफ्ते से कवायद ने एकएक रफ्तार पकड़ ली हैं। बीते दिनो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ सहित पार्टी और संघ के कई वरिष्ठ नेता दिल्ली में एक साथ बैठे। पिछले सप्ताह में संगठन महामंत्री बीएल संतोष के यूपी दौरे ने भी यूपी प्रदेश अध्यक्ष को लेकर चर्चाओं को हवा दी है। संतोष ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और आरएसएस के सह-सरकार्यवाह अरुण कुमार सहित कई वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की थी। हालांकि, अब पिछले तीन दिनों से भूपेंद्र चौधरी दिल्ली में डेरा डाले पड़े हैं। चर्चा जोरो पकड़ रही है कि आलाकमान ने यूपी प्रदेश अध्यक्ष का नाम तय कर लिया है।
अध्यक्ष पद के लिए अचानक पंकज चौधरी का नाम उछला
बीजेपी के उच्चस्तरीय सूत्रों का दावा है कि ओबीसी फॉर्मूले की बात करें कई नेता दावेदारी की रेस में हैं । अभी तक डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, स्वतंत्र देव सिंह, धर्मपाल सिंह और बीएल वर्मा का नाम सबसे ऊपर माना जा रहा था। लेकिन पिछले 24 घंटे के भीतर पंकज चौधरी का नाम तेजी से उछला है। कुर्मी समाज से ताल्लुक रखने वाले पंकज चौधरी सीएम योगी के गढ़ गोरखपुर के ही निवासी हैं। वह गोरखपुर से सटे महाराजगंज से सात बार के सांसद होने के साथ ही केंद्र में मंत्री भी हैं। पीएम मोदी और अमित शाह के खास माने जाते हैं, वहीं सीएम योगी से भी उनके रिश्ते भी अच्छे बताए गए हैं। हालांकि चर्चा ये भी है कि स्वास्थ्य कारणों के चलते वह अंतिम समय में अध्यक्ष की रेस से हट भी सकते हैं। यदि महिला की बात करें तो पूर्व केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति की भी चर्चा ही। वह निषाद समाज से आती हैं। इन सभी की गैर-यादव ओबीसी वोट बैंक पर अच्छी पकड़ मानी जाती है, इसलिए हाईकमान इन्हें भी गंभीरता से तौल रहा है।
दलित समाज के नेता पर भी विचार
इसी तरह दलित समाज के नेताओं की बात करें तो रामशंकर कठेरिया और एमएलसी विद्या सागर सोनकर के नाम चर्चा में हैं। दोनों अपने क्षेत्रों में मजबूत जनाधार रखते हैं और पार्टी की कोर राजनीतिक रणनीति में भी सक्रिय भूमिका निभाते रहे हैं।
ब्राह्मण वर्ग से दिनेश और पाठक भी चर्चा में
ब्राह्मण वर्ग में भी संभावित उम्मीदवारों की लिस्ट भले लंबी हो, लेकिन पूर्व डिप्टी सीएम और राज्यसभा सांसद डॉ. दिनेश शर्मा और विजय बहादुर पाठक को सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा है। संगठन और सरकार दोनों जगह उनके लंबे अनुभव को बड़ी पूंजी के रूप में देखा जा रहा है। इनके अलावा हरीश द्विवेदी भी ब्राह्मण चेहरे के रूप में रेस में हैं, जिनकी पहचान संगठनात्मक समझ और अनुशासित कार्यशै संगठनात्मक बदलाव की तैयारियां तेज हो गई हैं। अब देखना है कि 14 दिसंबर को किसके सिर पर प्रदेश अध्यक्ष का ताज रखा जाएगा।
भाजपा अनुशासित संगठन
भाजपा के राज्य प्रवक्ता एवं वरिष्ठ पत्रकार अवनीश त्यागी का कहना है कि भाजपा एक अनुशासित संगठन है। साथ ही लोकतांत्रिक मूल्यों की पार्टी है। ये सही है कि प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में कई नेता हैं, लेकिन उन्हें भरोसा है कि प्रदेश अध्यक्ष का नाम सर्वसम्मति से तय कर लिया जाएगा। जो भी अध्यक्ष तय होगा, सभी पदाधिकारी और कार्यकर्ता जी जान से संगठन को और आगे ले जाने का काम करेंगे।














