हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान मंगलवार को लोकसभा में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ‘विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) (VB-जी राम जी) बिल, 2025’ पेश किया। बिल के पेश होते ही सदन में जोरदार हंगामा देखने को मिला। कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने इसे मनरेगा को कमजोर करने की कोशिश बताते हुए कड़ा विरोध किया और इसे वापस लेने या संसदीय समिति के पास भेजने की मांग की।
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि यह महात्मा गांधी के नाम से जुड़ी मनरेगा योजना को कमजोर करेगा और रोजगार के कानूनी अधिकार पर असर डालेगा। उन्होंने कहा कि बिल में केंद्र के अनुदान को 90 प्रतिशत से घटाकर 60 प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे राज्यों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा। प्रियंका ने तंज कसते हुए कहा कि किसी की निजी महत्वाकांक्षा, सनक या पूर्वाग्रह के आधार पर कोई विधेयक नहीं लाया जाना चाहिए। बाहर से देखने में यह सिर्फ नाम बदलने जैसा लगता है, लेकिन आशंका है कि सरकार कहीं इस योजना को पूरी तरह खत्म करने की तैयारी तो नहीं कर रही।
विपक्षी सदस्यों ने आरोप लगाया कि महात्मा गांधी का नाम हटाना राष्ट्रपिता का अपमान है। कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल, शशि थरूर, तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय और एनसीपी (एसपी) की सुप्रिया सुले ने भी बिल का विरोध किया। शशि थरूर ने व्यंग्य करते हुए कहा, “ओ दीवानो, राम का नाम बदनाम ना करो।” विपक्ष ने मांग की कि इस विधेयक को विस्तृत जांच के लिए संसदीय समिति को भेजा जाए।
वहीं, केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि महात्मा गांधी हमारे दिलों में बसते हैं और सरकार उनके सपनों को पूरा कर रही है। उन्होंने दावा किया कि सरकार ने यूपीए के मुकाबले मनरेगा पर चार गुना ज्यादा खर्च किया है। चौहान ने कहा कि अब 100 दिन की बजाय 125 दिन की रोजगार गारंटी दी जाएगी और इसके लिए 1.51 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का प्रावधान किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि पहले जवाहर रोजगार योजना का नाम कांग्रेस ने ही बदला था, तो क्या वह नेहरू का अपमान था? सरकार का दावा है कि नया बिल गांवों के समग्र विकास और गरीबों के सम्मान को सुनिश्चित करेगा।













