हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
दिल्ली धमाके के बाद खुफिया एजेंसियों ने अलीगढ़ में सुरक्षा व्यवस्था को और कड़ा कर दिया है। जिले की लगभग 40 लाख आबादी के बीच पुलिस ने हर स्तर पर निगरानी बढ़ा दी है। खासतौर पर किरायेदारों और नौकरों का सत्यापन शुरू कर दिया गया है। इसके लिए थाना, चौकी प्रभारी से लेकर बीट सिपाही तक को जिम्मेदारी दी गई है।
खुफिया एजेंसियों की विशेष नजर रोहिंग्या, बांग्लादेशी और लॉन्ग टर्म वीजा पर रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों पर है। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार अब तक जिले में कुल 13 बांग्लादेशी पकड़े गए हैं, जिनमें 11 जेल में हैं और तीन बच्चे शामिल हैं। हाल ही में गांधीपार्क पुलिस ने अवैध रूप से रह रहे पाँच बांग्लादेशियों को गिरफ्तार किया था। बताया गया कि गिरफ्तार परिवार का मुखिया करीब 22 वर्ष पहले अवैध तरीके से भारत आया था।
आजादी के बाद से विभिन्न कालखंडों में पाकिस्तान मूल के 50 से अधिक नागरिक अलीगढ़ में आए हैं। ये सभी लॉन्ग टर्म वीजा पर रह रहे हैं। पुलिस ने इनकी सूची तैयार कर सत्यापन कर लिया है। हालांकि किसी एजेंसी की ओर से अभी विशेष निर्देश नहीं मिले हैं, लेकिन सभी पर सतर्क निगरानी रखी जा रही है। एसएसपी नीरज कुमार जादौन के अनुसार जिले के सभी थाना प्रभारियों को किरायेदार-नौकरों के सत्यापन के सख्त निर्देश दिए गए हैं।
इधर कुछ माह पहले खैर क्षेत्र में वायरल हुए वीडियो में कुछ युवतियां बाढ़ पीड़ितों के नाम पर राहगीरों से पैसे लेती दिखीं थीं। संदेह था कि वे बांग्लादेशी या रोहिंग्या हो सकती हैं, लेकिन वीडियो सामने आने के बाद वे गायब हो गईं।
अतीत में मीट इंडस्ट्री के विस्तार के दौरान रोहिंग्या परिवारों का अलीगढ़ में आना बढ़ा था। करीब पांच वर्ष पहले तक जिले में 246 रोहिंग्या पंजीकृत थे, जो मीट फैक्ट्रियों में काम करते थे। बाद में कार्रवाई के चलते अधिकांश वापस लौट गए। वर्तमान में रिकॉर्ड में केवल 8 रोहिंग्या पंजीकृत हैं, लेकिन 2018 के सर्वे में कई अवैध रूप से आए रोहिंग्या लापता पाए गए थे। ऐसे में आशंका है कि कुछ रोहिंग्या अब भी अवैध रूप से जिले में रह सकते हैं।
















