हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
भाई-बहन के स्नेह के पर्व भाई दूज ने समय के साथ नया रूप ले लिया है। पहले यह त्योहार संयुक्त परिवारों में मिलकर मनाया जाता था, बहनें दूर-दूर से भाइयों के घर पहुंचकर तिलक करती थीं और परिवार संग मिठाइयां बांटी जाती थीं। अब बदलती लाइफस्टाइल और व्यस्त दिनचर्या ने पारंपरिक रीति-रिवाजों में आधुनिकता जोड़ दी है। कई जगह अब शगुन बैंक ट्रांसफर से भेजा जा रहा है और गिफ्ट ऑनलाइन ऑर्डर हो रहे हैं। भावनाएं आज भी वही हैं, बस अभिव्यक्ति का तरीका आधुनिक हो गया है।
बाजारों में खूब दिखी रौनक
दीपावली के बाद चौथे दिन मनाए जाने वाले भाई दूज पर्व को लेकर बुधवार को अलीगढ़ के बाजारों में भारी भीड़ देखने को मिली। सेंटर प्वाइंट, रामघाट रोड, रेलवे रोड, जयगंज, महावीरगंज, बारहद्वारी, सर्राफा मार्केट समेत अन्य प्रमुख बाजारों में जमकर खरीदारी हुई। मिठाई, चॉकलेट गिफ्ट बॉक्स, ड्राई फ्रूट पैक, कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक गिफ्ट आइटम और पूजा सामग्री की बिक्री में उछाल रहा।
इस बार महंगाई की मार भी देखने को मिली। गोले का थोक भाव 420 रुपये प्रति किलो पहुंच गया, जबकि चार दिन पहले इसका रेट 350 रुपये किलो था। मिसरी 80 रुपये किलो बिकी। पूजा के लिए दीपक, रोली, केसर, अक्षत (बिना टूटे चावल), नारियल, बताशा, फल, पान, चंदन आदि की मांग अधिक रही।
गिफ्टिंग ट्रेंड में बड़ा बदलाव
भाई दूज पर गिफ्टिंग पैटर्न तेजी से बदला है। पहले जहां रूमाल, तौलिया, टी-शर्ट और मिठाइयों का चलन था, वहीं अब ईयरबड, स्मार्ट वॉच, पावर बैंक, घड़ी जैसी हाईटेक चीजें युवाओं की पसंद बन गई हैं। कारोबारियों के अनुसार, पिछले दो वर्षों में इन इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की मांग में बड़ी बढ़ोतरी हुई है। साथ ही सोने-चांदी के गिफ्ट भी लोकप्रिय बने हुए हैं।
परंपरा और आधुनिकता का संगम
शहर के पुराने मोहल्लों में आज भी बहनें सुबह पूजा कर आरती की थाली सजा कर तिलक करती हैं और भाई चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेते हैं। वहीं नए अपार्टमेंट कल्चर में शाम को डिनर या कॉकटेल पार्टी के साथ भाई-बहन समय बिताते हैं। महिलाओं का कहना है कि भाई दूज केवल तिलक का त्योहार नहीं, बल्कि परिवार के संस्कार और साथ निभाने की सीख देता है। अब यह त्योहार सिर्फ भाइयों की रक्षा नहीं बल्कि बहनों की आत्मनिर्भरता और सम्मान से भी जुड़ गया है।
शुभ मुहूर्त व धार्मिक मान्यता
कार्तिक शुक्ल द्वितीया को मनाया जाने वाला भाई दूज यम द्वितीया नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इसी दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर तिलक करवाने पहुंचे थे। शुभ मुहूर्त सुबह से शाम तक उपलब्ध रहेगा, जबकि दोपहर 1:30 से 3:00 बजे तक राहुकाल होने से तिलक करना वर्जित माना गया है।

















