हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़ ✑15 मई : 2025
कानपुर। भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे बढ़ते तनाव और युद्ध जैसे हालात के बीच तुर्की के पाकिस्तान के पक्ष में खड़े होने के कारण छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू), कानपुर ने इस्तांबुल यूनिवर्सिटी के साथ अपने समझौता ज्ञापन (एमओयू) को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने इस्तांबुल यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर को लिखे गए पत्र के माध्यम से इस फैसले की जानकारी दी है।
इस महत्वपूर्ण पत्र में स्पष्ट किया गया है कि तुर्की द्वारा पाकिस्तान का समर्थन करना और भारत की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ खड़े रहना सीएसजेएमयू के लिए एक अस्वीकार्य स्थिति है। विश्वविद्यालय का मानना है कि ऐसे देश के साथ शैक्षणिक सहयोग रखना न केवल राष्ट्रहित के खिलाफ है, बल्कि यह राष्ट्रीय सम्मान और सुरक्षा के मूल सिद्धांतों को भी कमजोर करता है।
कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने पत्र में कहा,
“छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय ने तुरंत प्रभाव से इस्तांबुल यूनिवर्सिटी के साथ हाल ही में किए गए एमओयू को समाप्त कर दिया है। यह निर्णय तुर्की द्वारा एक ऐसे देश के साथ गहरा सहयोग करने के कारण लिया गया है, जो भारत के खिलाफ खुले तौर पर शत्रुतापूर्ण रवैया अपनाए हुए है। हम मानते हैं कि पाकिस्तान के रणनीतिक सहयोगी के साथ जुड़े किसी भी अकादमिक संस्थान को विश्वसनीय साझेदार नहीं माना जा सकता।”
प्रो. पाठक ने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय वैश्विक शैक्षणिक संवाद का कट्टर समर्थक है, लेकिन इस तरह की सहभागिता कभी भी भारत के राष्ट्रीय मूल्यों या अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा की कीमत पर नहीं हो सकती।
इस्तांबुल यूनिवर्सिटी के साथ एमओयू के तहत शैक्षणिक गतिविधियों और अनुसंधान में सहयोग की योजना बनाई गई थी, लेकिन वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों और तुर्की के व्यवहार को देखते हुए इसे अब औपचारिक रूप से खत्म कर दिया गया है।
कुलपति ने उम्मीद जताई है कि इस्तांबुल यूनिवर्सिटी इस गंभीर निर्णय की वजहों को समझेगी और भविष्य में ऐसी परिस्थितियों से बचाव करेगी।