हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
NEET PG 2025 में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) कोटे का दुरुपयोग सामने आने के बाद बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। ताज़ा रिपोर्टों के अनुसार कई ऐसे उम्मीदवारों ने, जो खुद को EWS कैटेगरी का बताते हैं, प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में मैनेजमेंट और NRI कोटा से 25 लाख से 1 करोड़ रुपये सालाना फीस वाली पोस्टग्रेजुएट (PG) सीटें खरीदी हैं। इससे यह गंभीर सवाल उठ रहा है कि आर्थिक रूप से कमजोर कहे जाने वाले उम्मीदवारों के पास इतने बड़े फंड कैसे आ रहे हैं?
सूत्रों के अनुसार करीब 140 EWS उम्मीदवारों ने क्लिनिकल स्पेशलिटी में महंगी PG सीटें ली हैं। इनमें कई उम्मीदवारों की NEET रैंक बहुत कम थी, लेकिन उन्होंने NRI या मैनेजमेंट कोटा में भारी-भरकम फीस देकर सीट हासिल कर ली।
कर्नाटक के बेलगावी स्थित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में एक EWS उम्मीदवार, जिसकी रैंक 1.1 लाख से भी कम थी, ने MD डर्मेटोलॉजी की NRI कोटा सीट ली जिसकी फीस 1 करोड़ रुपये से अधिक है।
इसी तरह पुडुचेरी के विनायक मिशन्स मेडिकल कॉलेज में रैंक 84,000 से कम वाले उम्मीदवार ने MD जनरल मेडिसिन की सीट 55 लाख सालाना फीस पर ली।
गाजियाबाद के संतोष मेडिकल कॉलेज में तीन EWS उम्मीदवारों ने रेडियो डायग्नोसिस, जनरल मेडिसिन और गायनाकॉलॉजी की सीटें लीं जिनकी फीस क्रमशः 76 लाख, 50 लाख और 50 लाख रुपये वार्षिक है।
पोस्टग्रेजुएट डॉक्टरों का कहना है कि यह EWS प्रमाणपत्र का “स्पष्ट दुरुपयोग” है। उनका आरोप है कि लोग आर्थिक रूप से कमजोर दिखाकर सरकारी लाभ लेते हैं, लेकिन महंगी सीटों के लिए आसानी से करोड़ों खर्च कर देते हैं।
पहले राउंड की काउंसलिंग में 27,000 सीटें अलॉट हो चुकी हैं, जबकि देश में कुल 52,000 से अधिक PG सीटें उपलब्ध हैं। इस वर्ष 2.4 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने NEET PG दिया था, जिनमें से सिर्फ 1.3 लाख ही क्वालिफाई कर पाए हैं।
यह विवाद अब EWS कैटेगरी की पारदर्शिता और प्रमाणपत्र सत्यापन की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है।













