लखनऊ। वजीरगंज पुलिस ने बुधवार को एक ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार किया है जिसने खुद को भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) का अधिकारी बताकर न केवल सरकारी कार्यक्रमों में वीआईपी की तरह शिरकत की, बल्कि लंबे समय तक प्रशासन और समाज को गुमराह भी किया। पकड़े गए आरोपी का नाम सौरभ त्रिपाठी है। पुलिस की शुरुआती जांच में सामने आया है कि वह खुद को कभी विशेष सचिव तो कभी केंद्रीय सचिव बताकर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की विभिन्न सरकारी गतिविधियों में शामिल होता रहा।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, आरोपी ने कई बार सरकारी बैठकों और कार्यक्रमों में अधिकारियों और मंत्रियों के साथ मंच साझा किया। हैरान करने वाली बात यह है कि उसके इस छलावे पर काफी समय तक किसी को शक नहीं हुआ। कार्यक्रमों में वीआईपी ट्रीटमेंट लेने के लिए वह नकली पहचान पत्र, फर्जी दस्तावेज और प्रभावशाली व्यक्तित्व का सहारा लेता था।
वजीरगंज थाने की पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर कार्रवाई करते हुए सौरभ त्रिपाठी को हिरासत में लिया। पुलिस के मुताबिक, प्रारंभिक पूछताछ में उसने कई अहम जानकारियां दी हैं। जांच टीम यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि वह कब से खुद को आईएएस बताकर लोगों को गुमराह कर रहा था और किन-किन आयोजनों में उसने फर्जी पहचान का इस्तेमाल किया।
इस मामले ने प्रशासनिक हलकों में भी हलचल मचा दी है। सवाल उठ रहे हैं कि बिना किसी सत्यापन के कोई व्यक्ति कैसे इतने बड़े स्तर पर सरकारी मंचों तक पहुंच जाता है। पुलिस अब यह भी जांच कर रही है कि उसके पीछे कोई संगठित गिरोह तो सक्रिय नहीं है, जो सरकारी कार्यक्रमों में फर्जी अधिकारियों को प्रवेश दिलाकर लाभ उठाता हो।
फिलहाल आरोपी से पूछताछ जारी है और पुलिस उससे जुड़े नेटवर्क की गहराई से छानबीन कर रही है। पुलिस का कहना है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जा रही है। जल्द ही सौरभ त्रिपाठी के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर कानूनी कार्रवाई आगे बढ़ाई जाएगी।
यह घटना प्रशासनिक व्यवस्था की सुरक्षा और सतर्कता पर भी सवाल खड़े करती है। अब देखना होगा कि इस फर्जी आईएएस के राज कितने गहरे हैं और आने वाले दिनों में पुलिस की जांच से क्या नए खुलासे सामने आते हैं।