हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
मुंबई/नई दिल्ली,: बांबे हाई कोर्ट ने एक गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति के लिवर ट्रांसप्लांट आवेदन पर केईएम अस्पताल को जल्द निर्णय लेने का निर्देश दिया है। वह एक्यूट-ऑन-क्रानिक लिवर फेलियर से पीड़ित है और एक गैर रिश्तेदार नाबालिग डोनर उसे लिवर देने को तैयार है। न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि अस्पताल की प्राधिकरण समिति मरीज के आवेदन पर यथाशीघ्र निर्णय करे, ताकि उसके जीवन को बचाने के प्रयास में देरी न हो। मरीज ने अदालत में कहा कि नाबालिग दाता होने के कारण उसे अनुमति न मिलने का डर है। कोर्ट ने उसकी पीड़ा को ध्यान में रखते हुए अस्पताल प्रशासन को त्वरित निर्णय की जिम्मेदारी सौंपी।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के मुद्दे पर अपने आदेश का पालन न होने पर गहरी नाराजगी व्यक्त की। अदालत ने सालिसिटर जनरल तुषार मेहता की उस अपील को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने राज्यों के मुख्य सचिवों को वर्चुअल पेशी की अनुमति देने की मांग की थी। कोर्ट ने कहा कि बंगाल और तेलंगाना को छोड़कर बाकी सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना होगा। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने टिप्पणी की कि जब अदालत ने कंप्लायंस शपथपत्र मांगा था, तब सभी राज्य “सो रहे थे।” कोर्ट ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि न्यायपालिका को ऐसे मुद्दों पर समय गंवाना पड़ रहा है जिन्हें राज्य सरकारें और नगर निकाय वर्षों पहले सुलझा सकते थे।













