हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के बाद S-500 ‘प्रोमिथियस’ एयर डिफेंस सिस्टम को लेकर भारत के रक्षा गलियारों में नई चर्चा शुरू हो गई है। भारत पहले से ही S-400 सिस्टम का उपयोग कर रहा है, जिसने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान से आए ड्रोन्स और मिसाइलों को लगभग 95% तक नष्ट कर अपनी प्रभावशाली क्षमता दिखाई थी। इसी सफलता के बाद S-500 को भारत की राष्ट्रीय हवाई सुरक्षा के लिए अगला बड़ा कदम माना जा रहा है।
S-500 एक अत्याधुनिक राष्ट्रीय स्तर की एयर एवं मिसाइल डिफेंस प्रणाली है, जो हाइपरसोनिक मिसाइलों, ICBMs, स्टेल्थ एयरक्राफ्ट और लो-अर्थ ऑर्बिट सैटेलाइट्स को भी नष्ट करने में सक्षम है। इसकी मारक दूरी 600 किलोमीटर और ऊंचाई 200 किलोमीटर तक है, जो S-400 से कई गुना ज्यादा है। S-500 का रिस्पॉन्स टाइम सिर्फ 4 सेकंड है, जबकि S-400 को 10 सेकंड लगते हैं। यह लगभग 25,000 किमी/घंटा की गति वाले लक्ष्यों को भी इंटरसेप्ट कर सकता है, जो भविष्य के युद्धों में इसे बेहद महत्वपूर्ण बनाता है।
सबसे बड़ी बात यह है कि भारत और रूस के बीच S-500 के संयुक्त उत्पादन की संभावना मजबूत है। रूस की अल्माज-एंटे कंपनी भारत की BEL और BDL जैसी कंपनियों के साथ मिलकर रडार और इंटरसेप्टर मिसाइलों का उत्पादन करना चाहती है। इसमें करीब 60% तकनीक हस्तांतरण संभव है, जो ‘मेक इन इंडिया’ को हाइपरसोनिक रक्षा तकनीक में आत्मनिर्भर बनाने में बड़ी भूमिका निभाएगा। यह हजारों उच्च-कौशल वाली नौकरियों और भविष्य में निर्यात के नए अवसर पैदा कर सकता है।
भारत की हवाई रक्षा को नई ऊंचाई देने वाला S-500 दुनिया के सबसे खतरनाक डिफेंस सिस्टम में से एक साबित हो सकता है।













