हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
नई दिल्ली, एजेंसी। देशभर की अदालतों में करीब नौ लाख निष्पादन याचिकाओं के लंबित रहने पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई है। शीर्ष अदालत ने इस स्थिति को “बेहद निराशाजनक और चिंताजनक” बताते हुए कहा कि यदि किसी डिक्री को लागू करने में वर्षों लग जाते हैं, तो यह न्याय की विफलता मानी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी उस समय आई जब वह अपने 6 मार्च 2025 के आदेश की अनुपालना की समीक्षा कर रही थी।
गौरतलब है कि निष्पादन याचिका वह आवेदन होती है, जो किसी वाद में आदेश पारित होने के बाद उसके पालन के लिए दायर की जाती है। अदालत ने मार्च में ही देशभर के हाईकोर्टों को निर्देश दिया था कि वे अपने अधीनस्थ दीवानी अदालतों को लंबित निष्पादन याचिकाएं छह माह के भीतर निपटाने के आदेश दें। साथ ही कहा गया था कि यदि देरी होती है, तो संबंधित न्यायिक अधिकारी को जिम्मेदार माना जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि किसी भी निर्णय का मूल्य तभी है जब उसे समय पर लागू किया जाए। अदालत ने कहा कि यदि आदेशों के क्रियान्वयन में वर्षों बीत जाएं, तो यह न्याय प्रक्रिया पर ही प्रश्नचिह्न खड़ा कर देता है। कोर्ट ने उच्च न्यायालयों से इस मुद्दे पर गंभीरता से निगरानी रखने और नियमित रूप से अनुपालना रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।
शीर्ष अदालत का यह रुख न्यायिक प्रणाली में लंबित मामलों की बढ़ती समस्या की ओर संकेत करता है। आंकड़ों के अनुसार, देशभर में लगभग 9 लाख से अधिक निष्पादन याचिकाएं अभी तक निपटाई नहीं गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी कि यदि सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए, तो जनता का न्यायपालिका में भरोसा कमजोर हो सकता है।













