हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) दुर्गम है, लेकिन अब भारतीय सेना को बड़ी राहत मिल सकती है। जर्मनी ने भारत को अपने मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट A400M एटलस का प्रस्ताव दिया है, जो ‘मेक इन इंडिया’ के तहत भारत में ही असेंबली किया जा सकता है। यह विमान छोटे और कच्चे रनवे पर भी उतरने और उड़ान भरने में सक्षम है, साथ ही 37 टन तक भार ढो सकता है, जिससे स्वदेशी जोरावर टैंकों को मिनटों में मोर्चे तक पहुंचाया जा सकेगा।
पुराने विमानों की जगह लेगा A400M
भारतीय वायुसेना में 100 से अधिक पुराने सोवियत जमाने के ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट An-32 और Il-76 हैं, जिन्हें बदलने के लिए A400M महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह विमान हल्के और भारी परिवहन विमानों के बीच 18–30 टन वजन ढोने की आवश्यकता को पूरा करता है। A400M की चार इंजन वाली डिजाइन अमेरिकी C-130J सुपर हरक्यूलिस से बेहतर मानी जा रही है और इसकी अधिकतम क्षमता C-130J के लगभग दोगुना है।
छोटे रनवे और दुर्गम इलाकों के लिए उपयुक्त
A400M की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह 780 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से छोटे और कच्चे रनवे से भी उड़ान भर सकता है। इससे लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश और अन्य दुर्गम क्षेत्रों तक सैनिकों, हथियारों और रसद की तेजी से आपूर्ति संभव होगी। एयरबस भारत में इसकी असेंबली लाइन बनाने के लिए टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) के साथ सहयोग करना चाहता है।
आर्थिक पहलू और संभावनाएँ
इस प्रस्ताव की कीमत प्रति यूनिट लगभग 220–250 मिलियन डॉलर है, लेकिन कम इंधन खपत के कारण परिचालन लागत अन्य विमानों की तुलना में कम रहेगी। एयरबस भारत से कम से कम 80 विमान खरीदने की उम्मीद कर रहा है, जिससे घरेलू उत्पादन और निर्यात की संभावनाएँ भी खुल सकती हैं। इस डील से भारत की सामरिक तैयारियों में मजबूती आएगी और एलएसी पर सेना की तेजी और प्रतिक्रिया क्षमता बढ़ेगी।
कुल मिलाकर, जर्मनी का यह ऑफर भारतीय सेना के लिए एलएसी पर तेजी से टैंकों और सैनिकों की तैनाती की दिशा में बड़ा कदम साबित हो सकता है।













