हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजर रही है और बेरोजगारी ने ऐतिहासिक स्तर छू लिया है। देश की डिजिटल जनगणना के मुताबिक, 24 करोड़ की आबादी में करीब 1 करोड़ 87 लाख युवा बेरोजगार हैं। यानी हर तीसरा युवा या तो नौकरी की तलाश में है या निराश होकर घर बैठ गया है। कुल बेरोजगारी दर 7.8% से ऊपर पहुंच चुकी है, जो देश की आर्थिक कमजोरी को उजागर करती है।
युवाओं की टूटी उम्मीदें
‘पाकिस्तान ऑब्जर्वर’ की रिपोर्ट बताती है कि 15 से 35 वर्ष के करीब एक-तिहाई युवा न पढ़ाई में हैं, न ट्रेनिंग में और न ही किसी रोजगार से जुड़े हैं। ये ‘NEET’ श्रेणी के युवा समाज से कटते जा रहे हैं। देश के 17 करोड़ कामकाजी लोगों में लगभग 11% के पास कोई काम नहीं है, जिससे सामाजिक असंतुलन बढ़ रहा है।
महिलाओं की बदतर स्थिति
पाकिस्तान में महिला श्रम भागीदारी दर बेहद कम है। जो महिलाएं काम करती भी हैं, वे असंगठित क्षेत्रों या घरेलू कार्यों तक सीमित हैं। सुरक्षा और सम्मानजनक माहौल की कमी के कारण महिलाएं कार्यबल में शामिल नहीं हो पा रहीं।
शिक्षा और महंगाई बनी वजह
पुरानी शिक्षा प्रणाली, तकनीकी प्रशिक्षण की कमी और महंगाई ने हालात और बिगाड़ दिए हैं। 2022 से 2025 तक की बाढ़ों, विदेशी मुद्रा संकट और कमजोर औद्योगिक नीति ने रोजगार सृजन की संभावनाएं खत्म कर दी हैं। अब देश में रोजगार दर घटकर केवल 52% रह गई है, जो पाकिस्तान की डगमगाती अर्थव्यवस्था की सच्ची तस्वीर पेश करती है।













