हिन्दुस्तान मिरर न्यूज:
कोलकाता के विवेकानंद युवभारती क्रीड़ांगन (सॉल्ट लेक स्टेडियम) में दिग्गज फुटबॉलर लियोनल मेसी के इवेंट के दौरान मचे बवाल ने अब सियासी रंग ले लिया है। मेसी को न देख पाने से नाराज फुटबॉल प्रशंसकों ने स्टेडियम में तोड़-फोड़ की, जिसके वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए। इस घटना के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खेल प्रेमियों और मेसी से माफी मांगी, लेकिन उनकी माफी पर विपक्ष ने तीखा हमला बोला है।

दरअसल, मेसी के इंडिया टूर की शुरुआत कोलकाता से हुई थी। इस हाई-प्रोफाइल इवेंट के लिए हजारों की संख्या में फैंस पहुंचे थे। आरोप है कि कई दर्शकों ने 8,000 से 10,000 रुपये तक के महंगे टिकट खरीदे, लेकिन वे अपने पसंदीदा खिलाड़ी को ठीक से देख भी नहीं पाए। इवेंट के दौरान वीआईपी लोगों को प्राथमिकता दी गई और मेसी भी कार्यक्रम से जल्दी निकल गए, जिससे फैंस खुद को ठगा हुआ महसूस करने लगे। इसी नाराजगी ने देखते ही देखते हंगामे का रूप ले लिया।
घटना के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा कि सॉल्ट लेक स्टेडियम में हुई अव्यवस्था से वह बेहद परेशान और हैरान हैं। उन्होंने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए लियोनल मेसी, खेल प्रेमियों और उनके फैंस से दिल से माफी मांगी। साथ ही उन्होंने इस मामले की जांच के लिए कलकत्ता हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज जस्टिस असीम कुमार रे की अध्यक्षता में एक हाई-लेवल कमेटी के गठन की घोषणा की, जिसमें राज्य के मुख्य सचिव और गृह विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल होंगे।
हालांकि, विपक्ष ने ममता की माफी को नाकाफी बताया है। पश्चिम बंगाल कांग्रेस के प्रभारी गुलाम अहमद मीर ने कहा कि “माफी मांगने से क्या होगा?” उनका आरोप है कि सरकार ने एक अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी को बुलाया, लेकिन दर्शकों और व्यवस्थाओं का सही इंतजाम नहीं किया। यह सरकार और खेल मंत्रालय की पूरी तरह से विफलता है। वहीं भाजपा ने भी तृणमूल सरकार पर कुप्रबंधन का आरोप लगाया। भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अमित मालवीय ने इसे बंगाल के लिए शर्मनाक बताते हुए कहा कि राजनीतिक प्रचार के लिए मेसी को लाया गया और टिकट खरीदने वालों को गुमराह किया गया।
गौरतलब है कि मेसी तीन दिन के भारत दौरे पर हैं। यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब भारतीय फुटबॉल अपने खराब दौर से गुजर रहा है। भारत फीफा रैंकिंग में 142वें स्थान पर पहुंच गया है और इंडियन सुपर लीग को लेकर भी अनिश्चितता बनी हुई है। ऐसे में सॉल्ट लेक स्टेडियम का यह विवाद राज्य सरकार और भारतीय फुटबॉल दोनों के लिए एक बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है।













