हिन्दुस्तान मिरर न्यूज़: गुरुवार 19 जून 2025 लखनऊ
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में एससी-एसटी एक्ट का दुरुपयोग कर झूठे मुकदमे दर्ज कराने के मामलों में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है। ऐसे मामलों पर सख्ती दिखाते हुए लखनऊ की विशेष अदालत ने हाल ही में चार अलग-अलग मामलों में दोषियों को सजा और जुर्माना सुनाया है। इन फैसलों से न्यायालय ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि कानून का दुरुपयोग किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
पहला मामला: लूट और धमकी का झूठा केस
सहदेव नामक व्यक्ति ने 12 अप्रैल 2024 को गाजीपुर थाने में सत्यनारायण और उनके बेटे संजय के खिलाफ बीस हजार रुपये व मोबाइल लूटने और एससी-एसटी एक्ट की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जांच में यह मामला झूठा पाया गया। अदालत ने सहदेव को 7 साल की सजा और ₹2.01 लाख का जुर्माना लगाया।
दूसरा मामला: पैसों के विवाद में फंसाने की कोशिश
चिनहट के रमेश रावत ने वर्ष 2022 में पैसों के लेन-देन को जातिगत रंग देकर अरुण, इरफान, जिशान और रिजवान के खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज कराया था। विवेचना में झूठा पाए जाने के बाद विशेष न्यायाधीश ने रमेश को 5 साल की कैद और ₹50 हजार जुर्माने की सजा सुनाई।
तीसरा मामला: जमीन विवाद को बनाया जातिगत मुद्दा
लखनऊ के लाखन सिंह ने 2014 में जमीन के विवाद को लेकर सुनील दुबे और अन्य पर एससी-एसटी एक्ट समेत कई धाराओं में मामला दर्ज कराया। जांच में यह मामला भी झूठा पाया गया। अदालत ने लाखन सिंह को 10 साल की कैद और ₹2.51 लाख के जुर्माने से दंडित किया।
चौथा मामला: झूठे गैंगरेप के आरोप
बाराबंकी की रेखा देवी ने जैदपुर थाने में 2021 में राजेश और भूपेंद्र पर सामूहिक दुष्कर्म व एससी-एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कराया था। विवेचना में आरोप बेबुनियाद पाए गए। कोर्ट ने रेखा देवी को 7 साल 6 माह की सजा और ₹2.01 लाख जुर्माना सुनाया।