- राजेश कुमार उपाध्याय, जो बलरामपुर जिला कोर्ट में क्लर्क (चपरासी/लिपिक) था, चेह्नट इलाके से गिरफ्तार किया गया
- उस पर आरोप है कि वह छांगुर बाबा की योजना के तहत अदालत में झूठे मामले दर्ज करवाकर धर्मांतरण के विरोधियों को फंसाने में सक्रिय भूमिका निभा रहा था
भूमिका और संपत्ति से जुड़े खुलासे
- ATS की जांच में सामने आया कि राजेश की पत्नी, संगीता देवी, पुणे (लोनावला) में छांगुर बाबा की मदद से खरीदी गई संपत्ति में साझेदार थी—जिसमें करोड़ों रुपये की लेन‑देन शामिल थी
- वह न केवल अदालत में मामलों को नियंत्रित करता था, बल्कि इस नेटवर्क के वित्तीय संचालन और विदेशी फंडिंग (पाकिस्तान, अमरीका, कनाडा आदि से) में भी कथित रूप से योगदान दे रहा था
जुड़े अन्य पहलू
- यह गिरफ्तारी मिशन अस्मिता के तहत आई, जिसमें पहले ही दो अन्य सहयोगियों—सबरोज और शहाबुद्दीन—को गिरफ्तार किया जा चुका है
- अभियोजक धाराओं में भारतीय दंड सहिंता और उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धर्मांतरण निषेध अधिनियम 2021 शामिल हैं
आगे क्या होगा?
- एटीएस फिलहाल राजेश से कड़ाई से पूछताछ कर रही है, ताकि पूरी सिंडिकेट और फंडिंग चैनलों का रेखांकन सामने आ सके।
- पहले ही अभियुक्तों को जब्त संपत्ति, विदेशी फंडिंग के रास्ते और योजनाबद्ध धर्मांतरण की रणनीतियों की सूचना मिली है
इस कार्रवाई से छांगुर बाबा की कथित अंतरराज्यीय धर्मांतरण गिरोह की परतें खुलने लगी हैं। एटीएस और यूपी पुलिस का यह अभियान “Mission Asmita” (स्वाभिमान मिशन) के तहत जारी है, जिसका उद्देश्य जबरन या धोखेबाज़ी से धर्म परिवर्तन कराने वाले गिरोहों को खोलना है
गिरफ्तारी की यह नवीनतम अपडेट दर्शाती है कि इस अभियान में अब कोर्ट के अंदर तक पैठ गई साज़िशों का पर्दाफाश हो रहा है। आगे की जांच में और अभियुक्तों और फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन का खुलासा अपेक्षित है।